कल फोन आया - मेरा नाम धीरेश है। मैं केरल आया हूँ, मुझे पता चला कि हावर्ड ज़िन की डेथ हो गई है।
हावर्ड ज़िन की डेथ हो गई है
थोड़ी देर वाक्य कानों में गुजरता रहा। शायद साल भर पहले की बात है जब भारतभूषण से कहा था कि हावर्ड ज़िन से बात करो और जितना अनुवाद मैंने किया है, उसके आगे कर डालो, पता नहीं कब तक है यह शख्स!
1987 में जब एकलव्य संस्था के सामाजिक शिक्षण कार्यक्रम के साथियों के साथ जुड़ा तो देखा कि जे एन यू की ऊँची नाक मुझ अदने विज्ञान के अध्यापक के सामाजिक अध्ययन पर काम करने की इच्छा झेल नहीं पा रही। थोड़ा बहुत हस्तक्षेप करता रहता। तभी नई तैयार हो रही पाठ्य-पुस्तक में अमरीका पर लिखा अध्याय देखा तो रहा नहीं गया। लगा कि बहुत ज़रुरी है कि अमरीका पर जानकारी के वैकल्पिक स्रोत हिंदी में उपलब्ध होने चाहिए। हावर्ड ज़िन की People's History of the United States चंडीगढ़ से ट्रक में आने वाली थी। फिर हरदा में बैठकर पहले अध्याय का अनुवाद किया जो 'पहल' में छपा। ज्ञानरंजन ने कोलंबस की डायरी के पन्नों के वाक्यों को अंक के विज्ञापन के लिए इस्तेमाल किया। मैंने छपे पन्नों की फोटोकापी कर ग्रामीण अध्यापकों में बाँटा। फिर दूसरा अध्याय गौतम नवलखा ने 'साँचा' में निकाला। इस तरह धीरे धीरे कुल बारह अध्यायों का अनुवाद किया जो पहल के अलावा साक्षात्कार, पल प्रतिपल, पश्यंती आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
पहला अध्याय इतना सशक्त है कि बार बार मैं साथियों को पढ़ कर सुनाता। अभी भी सुनाता हूँ। जब छपा था तो उदय प्रकाश ने और संजय चतुर्वेदी ने लंबे खत लिखे थे जो कभी अवसाद के दिनों में खो गए।
असद जैदी ने कहा कि पूरा कर लो, पर मैं नहीं कर पाया। जितना किया था, उसकी प्रति बना कर असद को और श्याम बिहारी राय (ग्रंथशिल्पी) को भेजा कि बाकी किसी और से करवा लो, पर ज़रुरी किताब है, पूरा अनुवाद होना चाहिए।
पता नहीं कितने छात्रों ने, साथियों ने समय समय पर मदद की, पर आखिरकार पूरा नहीं हुआ। ज़िन से 90 के आसपास अनुमति भी ले ली थी, वह शायद देश निर्मोही को दे दी थी, वह भी खो गई।
वह व्यक्ति जिसने लाखों लोगों को दृष्टि दी, वह मेरे निजी संघर्षों का भी नायक है। आज कई लोग जिन्होंने उन दिनों मेरे इस obsession को महज एक सनक समझा, उनके वक्तव्य पढ़ता हूँ कि कितना महान व्यक्ति था जो गुजर गया।
हावर्ड ज़िन की डेथ हो गई है
थोड़ी देर वाक्य कानों में गुजरता रहा। शायद साल भर पहले की बात है जब भारतभूषण से कहा था कि हावर्ड ज़िन से बात करो और जितना अनुवाद मैंने किया है, उसके आगे कर डालो, पता नहीं कब तक है यह शख्स!
1987 में जब एकलव्य संस्था के सामाजिक शिक्षण कार्यक्रम के साथियों के साथ जुड़ा तो देखा कि जे एन यू की ऊँची नाक मुझ अदने विज्ञान के अध्यापक के सामाजिक अध्ययन पर काम करने की इच्छा झेल नहीं पा रही। थोड़ा बहुत हस्तक्षेप करता रहता। तभी नई तैयार हो रही पाठ्य-पुस्तक में अमरीका पर लिखा अध्याय देखा तो रहा नहीं गया। लगा कि बहुत ज़रुरी है कि अमरीका पर जानकारी के वैकल्पिक स्रोत हिंदी में उपलब्ध होने चाहिए। हावर्ड ज़िन की People's History of the United States चंडीगढ़ से ट्रक में आने वाली थी। फिर हरदा में बैठकर पहले अध्याय का अनुवाद किया जो 'पहल' में छपा। ज्ञानरंजन ने कोलंबस की डायरी के पन्नों के वाक्यों को अंक के विज्ञापन के लिए इस्तेमाल किया। मैंने छपे पन्नों की फोटोकापी कर ग्रामीण अध्यापकों में बाँटा। फिर दूसरा अध्याय गौतम नवलखा ने 'साँचा' में निकाला। इस तरह धीरे धीरे कुल बारह अध्यायों का अनुवाद किया जो पहल के अलावा साक्षात्कार, पल प्रतिपल, पश्यंती आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
पहला अध्याय इतना सशक्त है कि बार बार मैं साथियों को पढ़ कर सुनाता। अभी भी सुनाता हूँ। जब छपा था तो उदय प्रकाश ने और संजय चतुर्वेदी ने लंबे खत लिखे थे जो कभी अवसाद के दिनों में खो गए।
असद जैदी ने कहा कि पूरा कर लो, पर मैं नहीं कर पाया। जितना किया था, उसकी प्रति बना कर असद को और श्याम बिहारी राय (ग्रंथशिल्पी) को भेजा कि बाकी किसी और से करवा लो, पर ज़रुरी किताब है, पूरा अनुवाद होना चाहिए।
पता नहीं कितने छात्रों ने, साथियों ने समय समय पर मदद की, पर आखिरकार पूरा नहीं हुआ। ज़िन से 90 के आसपास अनुमति भी ले ली थी, वह शायद देश निर्मोही को दे दी थी, वह भी खो गई।
वह व्यक्ति जिसने लाखों लोगों को दृष्टि दी, वह मेरे निजी संघर्षों का भी नायक है। आज कई लोग जिन्होंने उन दिनों मेरे इस obsession को महज एक सनक समझा, उनके वक्तव्य पढ़ता हूँ कि कितना महान व्यक्ति था जो गुजर गया।
Comments
बाबू अफ़लातून की सलाहियत को वैसे सर्कुलेट होने की ज़रुरत है.
Will appreciate to have your contact details to know more about trnslation of Howard Zin
Keep it up
I am no longer able to work on the translation, however several others are interested. I believe, people are working on it.