Thursday, January 26, 2017

चुपचाप अट्टहास: 19. प्यार की थाप के साथ मेरी फुँफकार साथ चलती

खुशी तुम्हारी कि तुम लड़ते हो
मरते हो

मेरी सारी कोशिशों के बावजूद
बिजली की कौंध में चमक उठती हैं तुम्हारी आँखें
तुम्हारे होंठों से निकलता है लफ्ज़ 'प्यार'
पल भर में जल गई खंडहर हो चुकी वादियाँ हरी हो जाती हैं
उत्सव के ढोल बजने लगते हैं

काले बादलों से घिरी अटारी से देखता हूँ
और फिर एकबार आग की लहरें उड़ेल देता हूँ
तुम्हारा दिल धड़कता है
प्यार की थाप के साथ
मेरी फुँफकार साथ चलती
गुत्थम-गुत्था होते रहते हम तुम।

You are happy with your resistance

Happy in being demolished

In spite of all my moves
Your eyes shine with lightning
Your lips utter the word ‘love’
And in a moment ruined valleys turn green
Merry beats reverberate all around

I see it from my penthouse surrounded by dark clouds
And once more I let fire rage
Your heart beats
With the march of love
My venomous panting goes with it
We are in a battle.

Wednesday, January 18, 2017

18. हर रात अब अमावस की रात होगी

फरिश्तों से कह दो
 

वे अब न आएँ
 

वे तुम्हारा हाथ नहीं थाम पाएँगे
 

मैंने सारी धरती पर काँटेदार बाड़े लगा दिए हैं
 

हर प्रवेशद्वार पर नुकीले त्रिशूल लिए खड़े हैं
 

चिलम सी धधकती आँखों वाले प्रहरी

 

चाँद को रोक दिया है मैंने
 

हर रात अब अमावस की रात होगी

 

कोई जादू, ताबीज़, मंत्र-तंत्र काम नहीं आएगा
 

कापालिक रक्तपिपासु मेरे साथ हैं
 

सभी मठों पर कब्जा है
 

मेरे अवधूतों का
 

हर धाम ख़ून की आरती चढ़ाई जाती है मेरे आका को।

 

Send a word to the angels
 

They must not visit any more
 

They will not be able to hold your hand
 

I have put a barbed fence all around the Earth
 

Sentries with glowing pot like eyes
 

Guard every entrance with pointed tridents 

 

I have stopped the moon
 

It will be a new moon every night now

 

No magic, amulets, tantra or spells will work
 

The bloodthristy skull-carriers are with me
 

The ascetics I own rule all monasteries
 

My master is worshipped in each of them
 

With blood servings.

Sunday, January 15, 2017

17. ऐसी ही कविता लिखनी है मुझे


मेरे पूर्वसूरी कविता लिखते थे

मैंने कोशिश की

और जाना कि

जिस अँधेरे में हूँ वहाँ

कविता नहीं होती।

गुस्से में हाथ आई सभी कविता की किताबें

फाड़ कर आग में जला दीं


जलते कागज में से कोई आवाज़

-आ कह जाती

कि जहाँ प्यार नहीं

वहाँ कविता नहीं होती।

मैंने कल्पना में दुनिया की

सबसे खूबसूरत औरत को देखने की कोशिश की।

हड्डियों का ढाँचा वह आती

होंठों में काला पड़ा ख़ून

कोशिश की कि उसे मुस्कराता देखूँ

होंठ खुलते दिखते उसके विषैले दाँत

वह चबाती कागज़ के पन्ने

जिन पर बेहतरीन कविताएँ लिखी होतीं।

सोचा कि उसके उन्माद पर कविता लिखूँगा

कपड़े उतार कर

उसके वक्ष नितंब देखूँगा

पर उसका शरीर काँटेदार रोंओं से भरा था


एकबारगी चीखे बिना नहीं रहा गया

कि ऐसी ही कविता लिखनी है मुझे।

Those who came before me wrote poems

I tried

And learned that

The darknss in which I dwell

Does not allow poetry.

I was angry and I burnt

All the books that I could find.


A voice kept reaching me 

From the burning papers

That poetry does not grow

Where Love does not exist.

I tried to imagine

The prettiest woman in the world

She appeared, a skeleton

With dark blood on her lips

I tried to see her smile

Venom fangs appeared as she opened her lips

She ate sheets of paper

With poems written on them.

Then I thought of writing a poem on her insanity

That I would take her clothes off and

And see her breasts and her behinds

But her body was filled with thorny hair


And for once I could not help screaming

That this is the poetry I write.

Sunday, January 08, 2017

16. तुम सिर्फ उत्पाद हो



इधर कुछ समय से मेरी ज़ुबान पर

जिन्हें पहले हराम कहता था ऐसे अल्फाज़

अनचाहे ही आते हैं

कत्ल और दंगा-फसाद ही नहीं

खारिज किसी दुनिया से वापिस आए अनेकों लफ्ज़

रस-बस गए हैं ज़ुबान पर


याद है कि अपने आका तक

पहुँचने के लिए कभी अपने मातहतों से कहा था कि

कातिलों को कुछ देर खेल खेल-लेने दो

आज तक इक्के-दुक्के लोग कोशिश में हैं

कि अंतरिक्ष में ध्वनि की गति से ज्यादा तेजी से दौड़ कर

उन लफ्ज़ों को पकड़ लें

भोले बेचारों को समझ नहीं आई है

कि अंतरिक्ष में हर दिशा में

खड़े हैं कराल द्वारपाल

क्षितिज झुका बैठा मेरे आका के पैरों पर

नवजात बच्चों के माथों पर चिरंतन दासता का भवितव्य

लिखा जा रहा है


भूल जाओ कि कभी तुमने सपनों में फूल देखे थे

तुम सिर्फ उत्पाद हो

और-और उत्पाद का स्रोत बन जीते रहना तुम्हारी नियति है।


For a while now words that I hated earlier

Come out of my mouth

Without my asking;

Not just murder and mayhem

Many words from some world rejected

Are part of my vocabulary


I remember that to conect with my master

I had told my subordinates

That the killers be allowed to play the game for a while

There are a few who to this day

Think of flying with a speed greater than of sound

And catching the words

Poor fellows do not realise

That in all directions in space

There stand the gatekeeping monsters

The horizons bow to my master

And the newly born are being destined

For slavery forever.


Forget it that you dreamt of flowers once

You are a mere product

It is your destiny that you will live to be source of even newer products.