Wednesday, May 30, 2007

मरने से पहले जो पचास फिल्में जरुर देखनी हैं

मरने से पहले जो पचास फिल्में जरुर देखनी हैं - रविवार की रात टी वी पर यह प्रोग्राम था|
तकरीबन आधी मैंने देखी हैं| शुकर है कि चयनकर्त्ताओं से मैं पूरी तरह सहमत नहीं हूँ, नहीं तो चैन से न मर पाने की चिंता होती|

मैंने जो देखी हुईं थीं, उनमें एक दो को छोड़ बाकी सारी नब्बे से पहले की हैं| चूँकि चयनकर्त्ता आलोचक ब्रिटेन और अमरीका के थे, इसलिए ज्यादातर फिल्में पश्चिम की थीं|
सारी याद नहीं, इसलिए नेट से ढूँढ कर सूची निकाली है:
1 Apocalypse Now 2 The Apartment 3 City of God 4 Chinatown 5 Sexy Beast 6 2001: A Space Odyssey 7 North by Northwest 8 A Bout de Souffle 9 Donnie Darko 10 Manhattan 11 Alien 12 Lost in Translation 13 The Shawshank Redemption 14 Lagaan: Once Upon A Time in India 15 Pulp Fiction 16 Touch of Evil 17 Walkabout 18 Black Narcissus 19 Boyzn the Hood 20 The Player 21 Come and See 22 Heavenly Creatures 23 A Night at the Opera 2 4 Erin Brockovich 25 Trainspotting 26 The Breakfast Club 27 Hero 28 Fanny and Alexander 29 Pink Flamingos 30 All About Eve 31 Scarface 32 Terminator 2 33 Three Colours: Blue 34 The Royal Tenen-baums 35 The Ladykillers 36 Fight Club 37 The Searchers 38 Mulholland Drive 39 The Ipcress File 40 The King of Comedy 41 Manhunter 42 Dawn of the Dead 43 Princess Mononoke 44 Raising Arizona 45 Cabaret 46 This Sporting Life 47 Brazil 48 Aguirre: The Wrath of God 49 Secrets and Lies 50 Badlands.


कमाल यह कि कोई इतालवी (फेलिनी से बेनिनी तक), हंगेरियन (इस्तवान ज्हावो). ईरानी (मखमलबाख) फिल्म नहीं|
चीन की एक, भारत की 'लगान' (! , ऋत्विक घटक से लेकर गोविंद निहलानी सारे फेल) - यह चयन है|
और क्रम भी अजीब है - मेरी अपनी पसंद से इनमें व्हर्नर हर्त्सोघ की 'आगीरे: द रैथ आफ गाड' सबसे बढ़िया है| उसके बाद '२००१: अ स्पेस आडीसी' (आर्थर सी क्लार्क ने कहानी में कंप्यूटर का नाम हैल - HAL रखा था - उन दिनों IBM कंप्यूटर की सबसे बडी़ कंपनी थी - H I A B L M) और फिर वूडी ऐलन की 'मैनहाटन' होगी| इसके बाद मैं चायनाटाउन को रखूँगा| वैसे कई बार देश काल ज्यादा महत्तवपूर्ण होते हैं| इस तरह से पश्चिमी आलोचकों के नजरिए से 'अपोकैलीप्स नाऊ' को सबसे ऊपर रखना समझ में आता है| इसी तरह अफ्रीकी मूल के अमरीकीओं के संदर्भ में 'बायज इन ड हूड' अच्छी संवेदनशील फिल्म है| इस फिल्म की खूबी यह थी कि इसका निर्देशक जान सिंगलटन महज तेईस साल का था, जब उसने यह फिल्म बनाई थी|

मैंने 'लगान' के कुछ हिस्से देखे हैं| चयनकर्त्ताओं में से कुछ का कहना था कि ऐसी फिल्में जो नए सवाल उठाएँ, देखी जानी चाहिए| स्पष्ट है कि चयनकर्त्ता भारतीय फिल्मों से नावाकिफ ही होंगे|
'अपोकैलीप्स नाऊ' अच्छी फिल्म है, पर तकनीकी साधनों पर इतनी ज्यादा निर्भर है कि कहीं कहीं कला का गला घोंटती सी लगती है|
चायनाटाउन में जैक निकोलसन का अभिनव कमाल का है; पर अपने समय में 'मैनहाटन' ने जो तहलका मचाया था, उसकी तुलना नहीं है| स्त्री पुरुष के संबंधों को लेकर आधुनिक शहरी मध्यवर्ग और बुद्धिजीवियों के पाखंड पर यह फिल्म एक अनोखा बयान है - इसलिए इसे बहुत ऊपर रखा जाना चाहिए|

Sunday, May 27, 2007

दो बढ़िया फिल्में

पिछले दो दिनों में दो बढ़िया फिल्में देखीं| पहली आलेहांद्रो गोन्सालेज इनारीतू की 'आमोरेज पेरोस (प्रेम एक कुतिया है)' और दूसरी जाक्स देरीदा पर किर्बी डिक और एमी त्सियरिंग कोफमान का वृत्तचित्र|

पहली फिल्म मेक्सिको की समकालीन परिस्थितियों पर आधारित तीन अलग-अलग किस्मत के मारे व्यक्तियों की कहानी है| शुरू से आखिर तक फिल्म ने मुझे बाँधे रखा - जो कि इन दिनों मेरे साथ कम ही होता है| प्रेम, हिंसा और वर्ग समीकरणों का अनोखा मिक्स, जो अक्सर मेक्सिको व दक्षिण अमरीका की फिल्मों में होता है, इसमें है| इंसानी जज्बातों और अंतर्द्वंदों को दिखलाने के लिए कुत्तों का बढ़िया इस्तेमाल किया गया है|

देरीदा पर बनी फिल्म भी बहुत अच्छी लगी| खूबसूरती यह है कि देरीदा जो कहता है उसमें अब नया कुछ नहीं लगता - लगता है यह सब तो हम लंबे अरसे से सोच रहे हैं, पर धीरे धीरे बातें जेहन तक जाती हैं और अचानक ही लगता है कि ये बातें ठीक ऐसे कही जानी चाहिए; पर पहले किसी ने इस तरह कहा नहीं| देरीदा की सबसे बडी सफलता भी यही है कि सुनने वाले को उसकी बातें सहज सत्य लगें| डीकंस्ट्रक्सन की धारणा पर देरीदा बार बार कहता है कि यह कोई बाहरी औजार नहीं जिसे किसी संवाद या कथानक पर इस्तेमाल करते हैं, कथ्य में ही विखंडन की प्रक्रिया मौजूद है| इसी को जरा और खींचें तो हम देख सकते हैं कि हमारी सोच में वह सब छिपा है जो यह महान दार्शनिक हमें बतलाता है|

महान लोगों की महानता उनकी साधारणता में है - हम जैसे साधारण होते हुए भी वे ऐसी बातें कह जाते हैं जो हमने कही नहीं है| यह 'कहा जाना' कोई चमत्कार नहीं, हमारे ही जैसे एक साधारण व्यक्ति की वर्षों की मेहनत, अध्ययन और शोध से उपजी बातें हैं| फिल्म में मुझे ऐसी बातें ज्यादा अच्छी लगीं, जिनमें हम देरीदा की साधारणता देख पाते हैं, घरेलू माहौल, उसका यह कहना कि जिस दिन घर से बाहर नहीं निकलना हो, उस दिन पाजामा पहने ही काम निकालता है, आदि|


इस प्रसंग में कह दूँ कि साधारणता को रेखांकित करना महानता के खिलाफ मेरी पुरानी लड़ाई है| बुजुर्गियत के लिए छोड़ कर किसी एक व्यक्ति के लिए 'वे' और इसके समांतर क्रियारुप से मैं परहेज करता हूँ| कईबार अटपटा लगता है, पर कोशिश यही रहती है कि 'देरीदा कहते हैं' की जगह 'देरीदा कहता है'लिखूँ| यह बात कहानियों के चरित्रों की उक्तियों के लिए लागू नहीं होती, पर चर्चा या आलोचना में यह कोशिश रहती है|

Thursday, May 24, 2007

हा, हा, भारत दुर्दशा देखी न जाई!

पुरानी ही सही, कुछ बातें अद्भुत ही होती हैं।

चेतन ने गाँठ या गाँठों पर यह लिंक भेजी है। रमण बतलाएगा कि लिंक भेजा जाता है या भेजी। मेरे भेजे में फिलहाल गाँठ पड़ी हुई है।


शुक्र है कि यह गाँठ ऐसी नहीं है, जैसी ये है :

देखिये जी, कलाकार माने क्या यह होता है कि वह हरिश्चद्र होते हैं या आम आदमी से ज्यादा अधिकार उनके होते हैं? आप सारी अपने मन माफिक हुकूमतों को गिना सकते हैं जहां सुख चैन है - किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होता.

या जैसा कि (साभार: युवा मित्र प्रणव) चंदन मित्रा के भेजे में है: बंदा किसी दक्षिणपंथी दल का नेता नहीं है, अंग्रेजी पायनीयर अखबार का संपादक है। जैसा कि हम देखेंगे, धर्म निरपेक्षता से लबालब भरा हुआ है। भाषा का संस्कार देखें:

The disinformation machinery of the Indian Left is probably more ruthlessly efficient than anything wartime Nazi propagandist Goebbles could have dreamed of. The effortless ease with which they disseminate half-truths and thereafter construct gigantic myths around these is something to be marvelled at. Despite their disdain for all things Indian, such as our age-old epics, they have picked up significant lessons from the Ashwathama story and are busy putting it into practice virtually every day. That they diabolically employ sympathetic TV channels for multiplier effect besides infiltrating the English-language print medium through the JNU route adds to the efficacy of their political message....

But there is a larger issue that goes beyond the arrest of an art student, vandalisation of movie halls screening Deepa Mehta's films (which are gigantic flops anyway) or the supposed persecution of Hussain. It is disturbing that the vocal Left-liberal media manipulators have succeeded in bestowing such people iconic status, which in turn results in the proliferation of perverted art. Hindu gods and goddesses, age-old social customs and other things revered by most Indians have become targets of vilification and desecration. The aim is to make a mockery of the Hindu social structure, Hindu systems of worship and systematically erode the foundations of the Hindu faith. To put a veneer of secularism on this objective, Jesus Christ is periodically dragged in as a smokescreen to hide the true purpose. Left-wing plotters assume that the usually law-abiding Christian community will not raise Cain, be it the staging of the controversial 'Jesus Christ Superstar' or scandalous portrayals in works of art by Vadodara students. Interestingly, the Left-liberals never put forward the "right to creativity" argument over depiction of Islamic motifs. Would somebody at Vadodara dare paint a likeness of the Prophet? Even during the latest controversy deafening silence was maintained on the issue of the Danish cartoons that, rightly, outraged Muslim opinion throughout the world.

Is there a way in which this conspiracy to blaspheme the Hindu faith can be countered? I believe there is a pressing need to enact a stern law against blasphemy in India that penalises all efforts to disparage religion and religious icons, irrespective of faith. Nobody, not even the tallest intellectual or celebrated artist, has the right to purposely hurt anybody's religious sentiment by exhibiting nude or copulating gods. None stops them from painting voluptuous women or male hunks in various disagreeable forms and enough models are available to serve their purpose. But, for God's sake, don't use our gods to satiate your intellectual perversions.

कइओं को फिकर होगी कि मैं ऐसा दक्षिणपंथी माल क्यों पसोर रहा हूँ| इसलिए कि जिनकी गाँठें खुलने की संभावना है, वे पढ़ें और विलाप करें - हा, हा, भारत दुर्दशा देखी न जाई! या सिकंदर सा कहें: सच सेल्यूकस! विचित्र यह देश!

Saturday, May 19, 2007

वन्देमातरम!

इंस्टीटिउट आफ फिजिक्स में प्रोफेसर माइकेल बेरी का भाषण सुनने गया था। एक बुजुर्ग मिले। पूछा कहाँ से आया हूँ। इंडिया और हैदराबाद सुनकर कहा मैं कभी इंडिया गया नहीं हूँ| थोडी देर बातचीत के बाद पूछा, आपका इलाका पीसफुल है?

पीसफुल?! आधुनिक समय में भारत का दुनिया को एक अवदान है - एक नारा - ओम् शांति।

कल मेरे शहर में बम फटा. पिछले कुछ दिनों से पंजाब में दंगे हो रहे थे। एम एस यू बडोदा के बवाल पर किसी का कहना है:

लाल्टू जी ये "अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता" वाले ऐसे ही जूते खाने लायक हैं, इनके लिये अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता मतलब हिन्दुओं के देवताओं की नग्न तस्वीरें बनाना, सरस्वती वन्दना का विरोध करना आदि है, इन्हें तो अभी अभी ही मारना शुरु किया है, ऐसे लोग अभी और-और पिटेंगे।

यह चिट्ठाकार उज्जैन का है। पिछले साल वहाँ छात्रों के चुनाव के दौरान एक प्रोफेसर की हत्या कर दी गई थी। यह चिट्ठाकार मेरी तरह सरस्वती वन्दना कर सकता है। मैं और वह भारत की उस आधी जनता का हिस्सा नहीं हैं, जो स्कूल नहीं जा पाए।

इंग्लैंड की एक तीन साल की बच्ची मैडलीन गायब हो गई है, दुनिया भर के लोग तलाश में हैं, होना भी चाहिए। मेरे शहर हैदराबाद में बच्चे अमूमन गायब होते रहते हैं। अभी हाल में पुलिस ने एक महिला को पकडा था। किस को खबर है!

वन्देमातरम!

Thursday, May 17, 2007

औक्यूपेशनल हैजर्ड.

पहले कभी सुना लगता है, हाल में बच्चों के लिए लिखी एक किताब में पढा. जैकलिन रे की पुस्तक 'प्लेयिंग कूल' में नानी के 'तुम बडी हो गई हो' कहने पर बच्ची ग्रेस का जवाब है: 'चिल्ड्रेन ग्रो! इट्स ऐन औक्यूपेशनल हैजर्ड.'

Wednesday, May 16, 2007

अभी तक किसी को मारा नहीं है.

एम एस यू बडोदरा में बवाल मचा है. क्यों? भई बी जे पी का राज है. नरेंद्र मिल्सोविच मोदी की दुनिया है.
हमला कलाकारों पर है. अभी तक किसी को मारा नहीं है.
कला संकाय के डीन सस्पेंड हो गए हैं. क्यों? उसने एक छात्र की प्रदर्शनी रुकवाने का विरोध किया. इसलिए.