24 को सुबह इंदौर के अस्पताल की भयानक खबर कि बच्चों पर प्रतिबंधित और खतरनाक रसायनों वाली दवाओं के प्रयोग किये गए हैं पढ़ी ही थी कि दोपहर तक खबर आ गयी कि बिनायक सेन को छत्तीसगढ़ की अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा दे दी है। विडंबना कि बिनायक बच्चों का डाक्टर है. नहीं ऐसा तो नहीं कि हम रोते नहीं पर एक दिन रो लेने के बाद मैंने घंटों देश विदेश के विरोध के गीत सुने। इसी सिलसिले में तीस साल पहले सुना आर्लो गथरी का ' एलिसेस रेस्तरां ' भी दुबारा सुना। और लगा सचमुच किस तरह मुक्तिबोध के शब्दों में जन जन का चेहरा एक है। जैसे जन का चेहरा एक है उसी तरह अत्याचारियों का चेहरा भी एक है। इसलिए हम जो जितना कर सकते हैं करेंगे। कल इलीना को अगर यह देखना पड़ा है कि दिल्ली के संस्थान आई एस आई को भेजी गयी मेल को देश की पुलिस पकिस्तान की आई एस आई को भेजी मेल कह कर अदालत में पेश करती है तो किसी भी पढ़ने लिखने सोचने वाले आदमी की इस देश में कोई बिसात नहीं है। इसलिए हर समझदार आदमी को तय करना ही होगा कि हम किस ओर खड़े हैं। रस्म बकौल फैज़ अभी यही है कि कोई न सर उठा कर चले। फिलहाल मैं आर्लो गथरी का ...