Monday, August 30, 2010

टिक्की बढ़िया गंजा बढ़िया

‘Great spirits have always encountered opposition from mediocre minds. The mediocre mind is incapable of understanding the man who refuses to bow blindly to conventional prejudices and chooses instead to express his opinions courageously and honestly.’ -ऐल्बर्ट आइन्स्टाइन (बर्ट्रेंड रसेल के पक्ष में ब्यान देते हुए)

बढ़िया रे बढ़िया
दादा!  दूर तक सोच-सोच देखा -
इस दुनिया का सकल बढ़िया,
असल बढ़िया नकल बढ़िया,
सस्ता बढ़िया दामी बढ़िया,
तुम भी बढ़िया, हम भी बढ़िया,
यहाँ गीत का छंद है बढ़िया
यहाँ फूल की गंध है बढ़िया,
मेघ भरा आकाश है बढ़िया,
लहराती बतास है बढ़िया,
गर्मी बढ़िया बरखा बढ़िया,
काला बढ़िया उजला बढ़िया,
पुलाव बढ़िया कोरमा बढ़िया,
परवल माछ का दोलमा बढ़िया,
कच्चा बढ़िया पक्का बढ़िया,
सीधा बढ़िया बाँका बढ़िया,
ढोल बढ़िया घंटा बढ़िया,
चोटी बढ़िया गंजा बढ़िया,
ठेला गाड़ी ठेलते बढ़िया,
ताजी पूड़ी बेलना बढ़िया,
ताईं ताईं तुक सुनना बढ़िया,
सेमल रुई धुनना बढ़िया,
ठंडे जल में नहाना बढ़िया,
पर सबसे यह खाना बढ़िया - 
पावरोटी और गुड़ शक्कर।
(सुकुमार राय - आबोल ताबोल)

3 comments:

Shah Nawaz said...

बढ़िया है!

manu said...

haan han..

badhiyaa hai...

दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA said...

bahut badhiya ..
swaad , nazaara, kad , rang ..door tak dekha jaaye to sab badhiya !!
:)