देशभक्ति की धारणा पर अक्सर इस ब्लॉग पर मैंने कुछ लिखा है। अन्य संस्थानों की तरह हमारे संस्थान में भी १५ अगस्त और २६ जनवरी को झंडोत्तोलन के साथ उच्च अधिकारियों के भाषण आदि होते हैं। चूंकि चार पांच लोगों ने नियमित बोलना ही होता है; दिवस की गरिमा का तकाजा है, और तब तक छात्र पर्याप्त रूप से ऊब चुके होते हैं, इसलिए जब भी मुझे बोलने को कहा गया है, मैंने इंकार कर दिया है. पर मैं कल्पना तो करता ही हूँ कि अगर बोलना पड़े तो क्या बोलता । हैदराबाद आने के बाद कक्षा में विषय पढ़ाने के अलावा या पेशेगत शोधकार्य आदि पर भाषण देने के अलावा सामान्य विषयों पर व्याख्यान कम ही दिए हैं.
तो इस बार १५ अगस्त के लिए भी कुछ सोच रहा था कि वह भाषण जो मैं कभी नहीं देता वह कैसा होगा. पर फिर वही वक्त की समस्या - बस सोचते रह जाते हैं - लिख नहीं पाते. इसी बीच यह साईट देखी: http://lekhakmanch.com/2010/08/13/कवियों-शायरों-की-नजर-में-आ/
इसमें विष्णु नागर की कविता देखकर दंग रह गया -एक खतरनाक ख़याल दिमाग में आ रहा है कि पाखंडों से भरे इस मुल्क में ऐसा लिख कर वे बच कैसे गए :
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
जय हे, जय हे, जय जय हे
जय-जय, जय-जय, जय-जय-जय
जय-जय, जय-जय, जय-जय-जय
हे-हे, हे-हे, हे-हे, हे-हे, हे
हें-हें, हें-हें, हें-हें, हें
हा-हा, ही-ही, हू-हू है
हे-है, हो-हौ, ह-ह, है
हो-हो, हो-हो, हो-हौ है
याहू-याहू, याहू-याहू, याहू है
चाहे कोई मुझे जंगली कहे।
बस पढ़कर यही मन करता है कि याहू-याहू, याहू-याहू,...
कहीं याहू कंपनी उनसे कापीराईट का दावा ना कर बैठे.
तो इस बार १५ अगस्त के लिए भी कुछ सोच रहा था कि वह भाषण जो मैं कभी नहीं देता वह कैसा होगा. पर फिर वही वक्त की समस्या - बस सोचते रह जाते हैं - लिख नहीं पाते. इसी बीच यह साईट देखी: http://lekhakmanch.com/2010/08/13/कवियों-शायरों-की-नजर-में-आ/
इसमें विष्णु नागर की कविता देखकर दंग रह गया -एक खतरनाक ख़याल दिमाग में आ रहा है कि पाखंडों से भरे इस मुल्क में ऐसा लिख कर वे बच कैसे गए :
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
जय हे, जय हे, जय जय हे
जय-जय, जय-जय, जय-जय-जय
जय-जय, जय-जय, जय-जय-जय
हे-हे, हे-हे, हे-हे, हे-हे, हे
हें-हें, हें-हें, हें-हें, हें
हा-हा, ही-ही, हू-हू है
हे-है, हो-हौ, ह-ह, है
हो-हो, हो-हो, हो-हौ है
याहू-याहू, याहू-याहू, याहू है
चाहे कोई मुझे जंगली कहे।
बस पढ़कर यही मन करता है कि याहू-याहू, याहू-याहू,...
कहीं याहू कंपनी उनसे कापीराईट का दावा ना कर बैठे.
Comments
* कवि का नाम संभवत विष्णु नागर होना चाहिए :)
नज़र कमजोर पड़ती जा रही है, अक्सर गलतियाँ रह जाती हैं.
अब ठीक कर लिया है.