जल्दी में लिखा यह आलेख 23 जनवरी 2014 को जनसत्ता में ' वाम के समक्ष चुनौतियाँ ' शीर्षक से प्रकाशित हुआ है - भारतीय पतित - बुर्ज़ुआ और चुनौतियों के समक्ष वाम - लाल्टू समाजवादियों की शब्दावली में एक फ्रांसीसी शब्द चलता है - अंग्रेज़ी में जिसे पेटी - बुर्ज़ुआ पढ़ते हैं। फ्रांसीसी उच्चारण के बहुत करीब हिंदी में इसे पतित - बुर्ज़ुआ ( सही उच्चारण ' पातीत - बुर्ज़ुआ ' होगा ) पढ़ा जा सकता है। इस शब्द का संबंध हमारे जैसे शहरी मध्य - वर्ग के लोगों और ग्रामीण कुलीनों ( जिनका शहरी मध्य - वर्ग से घनिष्ट नाता होता है ) के लिए है जो इस अहं में तो जीते हैं कि उनकी भी कोई हस्ती है , पर सचमुच वे उच्च - अभिजात वर्गों के वर्चस्व तले जीते हैं और उनकी आकांक्षा भी अभिजात वर्गों में शामिल होने की होती है। पाखंड और झूठी नैतिकता का झंडा हमेशा इनके हाथों में होता है। इनका उदारवादी लोकतंत्र से लेकर साम्यवाद तक , हर तरह की जनपक्षधर प्रवृत्ति से विरोध होता है। ये एक तरह के ' ऐनार्किस्ट ' या ' अराजकतावादी ' हैं , पर ये ' अराजकतावाद ' ...