अबोहर का नाम कैसे पड़ा? युवा साथी योगेश डी ए वी कालेज में इतिहास पढ़ा रहा है। अबोहर में ही पला है। उसने बतलाया कि अबोहर में पिछले पाँच हजार साल से लगातार लोग बसे हुए हैं। बृहत्तर हड़प्पा सभ्यता का शहर है। आज भी ऐसी जगहें वहाँ हैं जहाँ खुदाई तो नहीं हुई है, पर इधर उधर प्राचीन काल के स्मारक पड़े हुए मिल जाते हैं। इब्न बतूता तक ने अपने संस्मरणों में अबोहर का उल्लेख किया है। योगेश कर्मठ और सचेत है। चंडीगढ़ में क्रिटीक संस्था में सक्रिय था। अबोहर में छात्रों को नई दिशाएं दिखलाने का बीड़ा उठाया है। जब हम वहाँ गए तो उस रात अभी हाल में पारित सूचना अधिनियम के बारे में राजस्थान से उपलब्ध कुछ दृश्य सामग्री छात्रों को दिखला रहा था। उसने बतलाया कि छात्रों को स्थानीय माइक्रो-हिस्ट्री के अध्ययन के लिए भी वह प्रेरित करता रहता है। एकलव्य में काम करने के दौरान जो रोचक अनुभव हुए थे, उनमें स्थानीय इतिहास का अध्ययन भी है। मूल प्रकल्पना संस्था के कार्यकर्त्ताओं की होती थी, पर उत्साही शिक्षकों के बल पर ही बात आगे बढ़ती थी। शायद जे एन यू से आए सुब्रह्मण्यम और रश्मि पालीवाल ने यह अभ्यास सोचा था, पर एक गाँव ...