कैसे कहें कि ए - आई में इंसान जैसी चेतना है या नहीं ? - 'स्रोत' (अक्तूबर 2023) में प्रकाशित ' उसे कौन देख सकता कि यगाना है वो यकता / जो दुई की बू भी होती तो कहीं दो - चार होता ' - ग़ालिब का यह शेर है तो ईश्वर के लिए , पर इसे इंसान या किसी भी चेतन प्राणी के लिए भी कहा जा सकता है। दुई या द्वैत - यानी हम दिखते तो एक ही हैं , पर हमारा चेतन मन और हमारा जिस्म या शरीर , क्या ये दोनों एक हैं ? हज़ारों सालों से यह सवाल इंसान को परेशान करता रहा है। आज जब हर क्षेत्र में विज्ञान और टेक्नोलोजी का बोलबाला है , यह खयाल फलसफे के दायरे से निकलकर वैज्ञानिक शोध का एक अहम सवाल बन गया है। खास तौर पर आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस ( ए आई ) यानी गैर - कुदरती समझ पर हर कहीं बातचीत हो रही है , और इस चर्चा में कॉंशस - नेस या चेतना पर जोर - शोर से बहस चल रही है। आखिर एक इंसान और मशीन में फ़र्क क्या है ? हम अपने परिवेश के बारे में सचेत रहते हैं , चेतन होने की एक पहचान यह है। ऐसी रोबोट मशीनें अब बन रही हैं जो परिवेश की पूरी जानकारी रखती हैं। हमारी तरह ये मशीनें सड़क पर चलते हुए सामने पड़े पत्थर से बचकर निकल ...