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Showing posts from 2023

ए-आई में इंसान जैसी चेतना है या नहीं?

  कैसे कहें कि ए - आई में इंसान जैसी चेतना है या नहीं ? - 'स्रोत' (अक्तूबर 2023) में प्रकाशित ' उसे कौन देख सकता कि यगाना है वो यकता / जो दुई की बू भी होती तो कहीं दो - चार होता ' - ग़ालिब का यह शेर है तो ईश्वर के लिए , पर इसे इंसान या किसी भी चेतन प्राणी के लिए भी कहा जा सकता है। दुई या द्वैत - यानी हम दिखते तो एक ही हैं , पर हमारा चेतन मन और हमारा जिस्म या शरीर , क्या ये दोनों एक हैं ? हज़ारों सालों से यह सवाल इंसान को परेशान करता रहा है। आज जब हर क्षेत्र में विज्ञान और टेक्नोलोजी का बोलबाला है , यह खयाल फलसफे के दायरे से निकलकर वैज्ञानिक शोध का एक अहम सवाल बन गया है। खास तौर पर आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस ( ए आई ) यानी गैर - कुदरती समझ पर हर कहीं बातचीत हो रही है , और इस चर्चा में कॉंशस - नेस या चेतना पर जोर - शोर से बहस चल रही है। आखिर एक इंसान और मशीन में फ़र्क क्या है ? हम अपने परिवेश के बारे में सचेत रहते हैं , चेतन होने की एक पहचान यह है। ऐसी रोबोट मशीनें अब बन रही हैं जो परिवेश की पूरी जानकारी रखती हैं। हमारी तरह ये मशीनें सड़क पर चलते हुए सामने पड़े पत्थर से बचकर निकल ...

विज्ञान की सामान्य समझ और मानविकी

वि ज्ञा न की सामान्य समझ और मानविकी विषयों में विश्व-दृष्टि का सवाल (पिछले महीने उदयपुर में दिया व्याख्यान। लेख के कुछ हिस्से पहले लिखे गए व्याख्यानों में से लिए गए हैं) यह कार्यशाला मानव-विज्ञान या समाज-विज्ञान पढ़ने-लिखने पर है। सुधा जी ने स्नेह-वश बुला  लिया और मुझे विज्ञान पर ही बातें करने को कहा। जमाना है कि हर दिन किसी नई टेक्नोलोजी की बात होती है और ज्यादातर लोगों को टेक्नोलोजी में ही विज्ञान दिखता है। इन दिनों कहना मुश्किल होता जा रहा है कि विज्ञान और टेक्नोलोजी के बीच लकीर है कि नहीं। जमाने की खबर रखना इंसान की फितरत है। निजी और सामाजिक दायरों में इंसान की फितरत को समझना समाज-विज्ञान है। आजकल इसकी जगह दो सदी पुराना पद ह्यूमन साइंसेस या मानव-विज्ञान आमफ़हम हो गया है।  समाज-विज्ञान पर बात पूरी नहीं होती अगर साथ में विज्ञान या कुदरत के साइंस पर बात न हो। पिछली सदी के उत्तरार्द्ध में साइंस-टेक्नोलोजी-स्टडीज़ एक अहम डिसिप्लीन या विषय के रूप में उभरा है। यानी मेरी घुसपैठ लावाजिब नहीं है।  हर कहीं समाज की घुसपैठ अक्सर विज्ञान पर बात करते हुए मैं एक कविता से शुरूआत कर...