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Showing posts from 2022

प्रसंग चुड़ैल

  अगस्त 2021 में यह फेसबुक पर पोस्ट किया था। आज किसी प्रसंग में दुबारा देखा तो लगा कि यहाँ भी दर्ज़ किया जाए।  'बदशक्ल चुड़ैलों' हर बार की तरह इस बार भी 15 अगस्त पर अली सरदार जाफरी का  'कौन आज़ाद हुआ' गीत और वेदी सिन्हा का अद्भुत गायन पर भी पोस्ट काफी शेयर हुए। मेरा बहुत प्रिय गीत है, कई बार दोस्तों के साथ गाया है।   पिछले साल धीरेश सैनी के कहने पर मैंने हिन्दी में 'अश्वेत' शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति करते हुए एक लेख लिखा था। https://hindi.newslaundry.com/.../george-floyd-death... हाल में फिर किसी बहस में शामिल होते हुए इसका लिंक मैंने शेयर किया था। लेख अंग्रेज़ी में लिखा जाए तो कई लोग पढ़ते हैं और बातचीत होती है। हिन्दी में आप कितना पढ़े जाएँगे, यह इससे तय होता है कि आप कितने प्रतिष्ठित हैं। और प्रतिष्ठा कौन तय करता है? ... खैर, उस लेख में ये पंक्तियाँ भी थीं -  "यह ज़रूरी है कि शब्दों का इस्तेमाल करते हुए हम गंभीरता से सोचें। हमें लग सकता है कि हम तरक्की-पसंद हैं, बराबरी में यकीन रखते हैं और एक छोटी सी बात को बेमतलब तूल देने की ज़रूरत नहीं है। ऐसा सोचते हुए ...

भाषा के मुद्दे पर मुक्तिबोध की फ़िक्र और कुछ और बातें

(29 नवंबर 2022 को छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित ' मुक्तिबोध प्रसंग ' के उद्घाटन सत्र में दिया व्याख्यान – पुराने कुछ लेखों में से पंक्तियाँ जोड़कर ये नोट तैयार किए थे - एक बड़ा हिस्सा अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच द्वारा प्रकाशित ' भाषा की लड़ाई ' से लिया है। ) एक बड़े रचनाकार को पढ़ना दरअसल खुद को गहराई तक पढ़ना होता है। निजी ज़िंदगी और समाज के बीच समझौतों और संघर्षों का जो सिलसिला है , उसे हम कैसे समझें , खुद को इसमें कहाँ और कैसे तलाशें , यह समझ हमें उम्दा अदब से मिलती है। मेरी बदकिस्मती यह है कि मैंने मुक्तिबोध को बड़ी उम्र में और विदेश में रहते हुए पढ़ा। आलोचना में मेरी रुचि कम थी। इसलिए कविताएँ कहानियाँ ही पढ़ता था। अपनी समझ कम थी - पर मुक्तिबोध को पढ़कर कौन न प्रभावित होता ? पर कविताएँ कहानियाँ पढ़ना एक बात है और रचनाकार के जीवन के साथ रचनाओं के अंतर्संबंध को समझ पाना कुछ और बात है। इससे भी आगे अपने अंतर्द्वंद्वों को बेहतर देख पाना और समझना - मुक्तिबोध को पढ़कर यही प्राप्ति है। खास तौर पर ' सब चुप , साहित्यिक चुप और कवि - जन निर्वाक ' के अँधेरे में जीने की यंत्...