जहाँ जाता हूँ साथ होती एक स्याह चादर धरती की परिक्रमा कर रहा हूँ समूची धरती पर फैल रहा स्याह रंग कोई कानून मुझे नहीं रोक सकता दीगर मुल्कों में सहचर मुझसे सीख रहे हैं गुर स्याह चादरें दिखने लगी हैं धरती के हर कोने में भूख धधक रही धरती पर हर ओर कोई घास फूस खाता है कोई प्यासा मर जाता है हम स्याह साथ लिए चलते हैं हमें अँधेरे की भूख है हम अँधेरे में जीते हैं अँधेरा खाते-पीते हैं हमारा मकसद अँधेरे से धरती को ढँक लेना है कई डॉक्टर, वैज्ञानिक, चिंतक, परेशान हुए पर वे अकेले पड़ते जा रहे हैं धीरे-धीरे हर कोई हमारे घेरे में आ रहा है कानून की पकड़ क्या होती है मैं ही कानून हूँ। Wherever I go A gloomy canopy accompanies me I am out on globetrotting A colour of gloom spreads across the skies I am not restrainable by law Fellow-travellers in several other countries Are learning skills from ...