कुछ नाम मुझे याद आते हैं
आखिर मैं वहीं पैदा हुआ
गलियों मैदानों में खेला
दूकान में काम किया
नाम याद आते हैं अचानक
कभी गहरी नींद से झकझोरते से
सच कि कभी-कभी पसीना आता है उन के याद आने पर
जिन्हें आग, रासायनिक या ऐसे तरीकों से
धरती से किसी और लोक में भेजा गया
कभी-कभी बू साथ आती है
जैसे कोई नाम नहीं, एक जलता हुआ शरीर है
और हाँ, कभी कोई स्त्री या बच्चा भी होता है
एक नाम अक्सर नींद से जगाते मुझे
कह जाता है मैं इतिहास हूँ
आखिर वह क्या कहना चाहता है
नाम इतिहास कैसे हो सकता है
शायद इसी दिक्कत से
नाम बदलता रहता है
हालाँकि उसका कहा कि मैं इतिहास हूँ
नहीं बदलता है
विदेशी नाम कम डराएँगे ऐसा मैं सोचता था
आखिर 'उएबर आलेस' का नारा हम भी लगाते रहे हैं
पर विदेशी गड्डमड्ड हो जाते हैं देशी नामों के साथ
कभी-कभी तो किसी अनजान भाषा में
बड़बड़ाता नींद से उठ पड़ता हूँ
बेकार मुझे ऐसे नाम याद दिलाते हो
जो रोते चीखते हैं
सपनों में डरता हूँ तो क्या
जागता तो कब का नहीं रहा
अनुचर हूँ मैं उसी का
जो हर रंग को घने स्याह में बदल देता है।
A few names remain in my memory
After all I was born there
I played in the lanes and the parks
I worked in the shops
Names come to me all of a sudden
Sometimes shaking me out of deep slumber
Indeed I sweat when I remember them
Those who were sent to a world away from this Earth
By fire, chemicals or similar means
Sometimes a stink comes along
Not a mere name, a body on fire
And yes, occasionally there is a woman or a child
Often one wakes me up from sleep
And tells me that her name is history
What is it that she really wants to tell me
How can a name be history
Perhaps this paradox is why
The name keeps changing
Though the words that it is history
Do not change ever
I used to think that names with foreign words are less fearsome
After all, we too have been screaming ‘Über Alles’
But the foreign words get mixed up with the native ones
Sometimes it is some pigeon tongue altogether
That I rattle out as I wake up
Why do you remind me of names
That cry and scream
So what if I have scary dreams
It's been a while that I was awake
I follow that special one
Who transforms all colours into deep gloom.
आखिर मैं वहीं पैदा हुआ
गलियों मैदानों में खेला
दूकान में काम किया
नाम याद आते हैं अचानक
कभी गहरी नींद से झकझोरते से
सच कि कभी-कभी पसीना आता है उन के याद आने पर
जिन्हें आग, रासायनिक या ऐसे तरीकों से
धरती से किसी और लोक में भेजा गया
कभी-कभी बू साथ आती है
जैसे कोई नाम नहीं, एक जलता हुआ शरीर है
और हाँ, कभी कोई स्त्री या बच्चा भी होता है
एक नाम अक्सर नींद से जगाते मुझे
कह जाता है मैं इतिहास हूँ
आखिर वह क्या कहना चाहता है
नाम इतिहास कैसे हो सकता है
शायद इसी दिक्कत से
नाम बदलता रहता है
हालाँकि उसका कहा कि मैं इतिहास हूँ
नहीं बदलता है
विदेशी नाम कम डराएँगे ऐसा मैं सोचता था
आखिर 'उएबर आलेस' का नारा हम भी लगाते रहे हैं
पर विदेशी गड्डमड्ड हो जाते हैं देशी नामों के साथ
कभी-कभी तो किसी अनजान भाषा में
बड़बड़ाता नींद से उठ पड़ता हूँ
बेकार मुझे ऐसे नाम याद दिलाते हो
जो रोते चीखते हैं
सपनों में डरता हूँ तो क्या
जागता तो कब का नहीं रहा
अनुचर हूँ मैं उसी का
जो हर रंग को घने स्याह में बदल देता है।
A few names remain in my memory
After all I was born there
I played in the lanes and the parks
I worked in the shops
Names come to me all of a sudden
Sometimes shaking me out of deep slumber
Indeed I sweat when I remember them
Those who were sent to a world away from this Earth
By fire, chemicals or similar means
Sometimes a stink comes along
Not a mere name, a body on fire
And yes, occasionally there is a woman or a child
Often one wakes me up from sleep
And tells me that her name is history
What is it that she really wants to tell me
How can a name be history
Perhaps this paradox is why
The name keeps changing
Though the words that it is history
Do not change ever
I used to think that names with foreign words are less fearsome
After all, we too have been screaming ‘Über Alles’
But the foreign words get mixed up with the native ones
Sometimes it is some pigeon tongue altogether
That I rattle out as I wake up
Why do you remind me of names
That cry and scream
So what if I have scary dreams
It's been a while that I was awake
I follow that special one
Who transforms all colours into deep gloom.
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