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15. मैं कानून हूँ

जहाँ जाता हूँ
 

साथ होती एक स्याह चादर
 

धरती की परिक्रमा कर रहा हूँ
 

समूची धरती पर फैल रहा स्याह रंग
 

कोई कानून मुझे नहीं रोक सकता
 

दीगर मुल्कों में सहचर
 

मुझसे सीख रहे हैं गुर
 

स्याह चादरें दिखने लगी हैं धरती के हर कोने में

 

भूख धधक रही धरती पर हर ओर
 

कोई घास फूस खाता है
 

कोई प्यासा मर जाता है
 

हम स्याह साथ लिए चलते हैं
 

हमें अँधेरे की भूख है
 

हम अँधेरे में जीते हैं
 

अँधेरा खाते-पीते हैं
 

हमारा मकसद अँधेरे से धरती को ढँक लेना है

 

कई डॉक्टर, वैज्ञानिक, चिंतक, परेशान हुए
 

पर वे अकेले पड़ते जा रहे हैं
 

धीरे-धीरे हर कोई हमारे घेरे में आ रहा है

 

कानून की पकड़ क्या होती है
 

मैं ही कानून हूँ।

 

Wherever I go
 

A gloomy canopy accompanies me
 

I am out on globetrotting
 

A colour of gloom spreads across the skies
 

I am not restrainable by law
 

Fellow-travellers in several other countries
 

Are learning skills from me
 

And gloom canopies spread across all the skies

 

Hunger burns across the globe
 

They eat the weeds
 

They die of thirst
 

We carry gloom
 

We are what the darkness craves for
 

We live in dark
 

We thrive on darkness
 

We aim to engulf the Earth in darkness

 

Wise folks, the doctors and the scientists, are worried
 

But then who cares for them
 

We will catch all of them

 

Who cares for the law
 

I am the law.

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