मैं
पहाड़ों पर चला तो चट्टानें
फट गईं
नदियों
का सीना चीर डाला मैंने
समूची
धरती पर वनस्पति काँपती
तेजाब
बरसता है जहाँ मैं होता हूँ
हर
मिथक में एक राजकुमार होता
है
वह
दरख्तों को उखड़ने से रोकता
है
उसकी
चाल को हवा सुर में बाँध देती
है
जब
वह दबोच लेता है मेरे प्राण-पखेरू
मेरे
पैरों तले कहीं कुछ ठोस नहीं
होता
अब
अनगिनत राजकुमार हैं
डरता
हूँ
ध्यान
से सुनता रहता हूँ
हवा
ने कहीं जाल बिछाया हो
मुझे
किसी भँवर में डालने को।
I
walk on the hills and they split apart
I
cleave the rivers
Plants
shiver on the Earth
Acid
rains where I am
A
prince comes in the tale
He
saves the trees from being killed
The
wind gives chime to his gait
When
he catches hold of my soul
I
am left with no firm ground below my feet
There
are princes too many
I
fear
I
listen with care
What
if the wind laid a snare
to
trap me.
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