मैं
कलाकार बनना चाहता था
राष्ट्र
की नामी कलादीर्घाओं में
मेरी
कृतियाँ लटकी हों
लोग
देखें और कहें वाह
ऐसा
मैंने सोचा था
जब
शहर के टुच्चे कलावंत ने
मेरी
कला को पिछड़े सोच की कला कहा
और
किसी ने नहीं कहा कि वह ग़लत था
मैंने
साधा वर्षों तक
उस
एक कलाकार को जिसके पास
सभी
कलाओं के नामोनिशान मिटाने
की कला है।
मुझे
देख लेने मात्र से ज़हन की उन
नसों को कुतर डालते हैं कीड़े
जिनमें
कला के कण कुदरतन मौजूद हैं
मैं
आकाशगंगा देखता रहता हूँ
सोचता
कि इस धरती के बाद
कितने
और ग्रहों कितने नक्षत्रों
को जला डालना है मुझे
जैसे
कलाएँ खत्म की हैं मैंने एक
के बाद एक
ग्रहों
को डाला है विनाश की सूची में
एक के बाद एक।
I
wanted to be an artist
My
works hanging
In
the famed National galleries
People
watching and going gaga
That
is how I thought.
And
then the good for nothing resident art critic
Said
that my works were primitive
And
no one said that he was wrong
Then
I went all out to please
That
one designer
The
Master with the art to destroy all arts.
One
look at me and worms nibble away the veins in your brain
That
carry elements of creativity naturally;
I
watch the milky way
Wondering
how many more planets and stars I get to burn
After
I am done with this Earth.
In a sequence I
enlist the planets for demolition
As
I destroy arts one after another.
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