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11. जैसे कलाएँ खत्म कीं


मैं कलाकार बनना चाहता था




राष्ट्र की नामी कलादीर्घाओं में


मेरी कृतियाँ लटकी हों


लोग देखें और कहें वाह


ऐसा मैंने सोचा था




जब शहर के टुच्चे कलावंत ने


मेरी कला को पिछड़े सोच की कला कहा


और किसी ने नहीं कहा कि वह ग़लत था


मैंने साधा वर्षों तक


उस एक कलाकार को जिसके पास


सभी कलाओं के नामोनिशान मिटाने की कला है।




मुझे देख लेने मात्र से ज़हन की उन नसों को कुतर डालते हैं कीड़े


जिनमें कला के कण कुदरतन मौजूद हैं


मैं आकाशगंगा देखता रहता हूँ




सोचता कि इस धरती के बाद


कितने और ग्रहों कितने नक्षत्रों को जला डालना है मुझे




जैसे कलाएँ खत्म की हैं मैंने एक के बाद एक


ग्रहों को डाला है विनाश की सूची में एक के बाद एक।


I wanted to be an artist




My works hanging


In the famed National galleries


People watching and going gaga


That is how I thought.


And then the good for nothing resident art critic


Said that my works were primitive


And no one said that he was wrong


Then I went all out to please


That one designer


The Master with the art to destroy all arts.




One look at me and worms nibble away the veins in your brain


That carry elements of creativity naturally;


I watch the milky way


Wondering how many more planets and stars I get to burn


After I am done with this Earth.




In a sequence I enlist the planets for demolition


As I destroy arts one after another.

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