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चुपचाप अट्टहास - 9


मेरे पहले आ चुके हैं

पिता पितृव्य आदि

जब मैं युवा था

आम नज़रों से छिप कर

पीते हुए उम्दा शराब

वे रणनीतियाँ बनाते थे


कि कैसे बदले निजाम

पास बैठे छुटभइए कभी उनकी खिदमत में पेश करते थे

मांसाहारी किस्म के चुटकुले

वे हँसते या नहीं हँसते थे


मैं आज भी ज़िंदा हूँ

वे भी हैं

कभी सोचते हैं क्या

कि उन दिनों मेरी छँटी हुई दाढ़ी पर भी

वे बतिया लेते थे

यह राजनीति में असफलता की ऊब से

अच्छा छुटकारा होता था


मैंने कभी उस्तरे से दाढ़ी नहीं बनाई

उनका मजाक होता कि मैं डरता हूँ

कि कभी गले की नस पर न चल जाए

काँपता हुआ उस्तरा मेरे हाथों में


मैं आज ज़िंदा हूँ

वे भी हैं

उम्र के गुरूर या कि थकान में

वे सोचते हैं कि

मेरी भी तारीख तय हैं

यह तो मैं भी जानता हूँ

इसीलिए कदम दर कदम

चला रहा हूँ लगातार

धरती की नसों पर उस्तरा।


Before me have come

My father, uncle and others

When I was young

They secretly

Drank good wine

And formulated strategies


To change the regime

Occasionally small fries sitting close by

Told them adult jokes

They would laugh or not laugh at them


I am still living

They are so too

Do they ever remember

That they chatted then

on my trimmed beard sometimes

This was a good relief

From the failures in politics


I never used a razor to shave

They made fun that I am scared

That I may by mistake

Use them on the veins on my throat


I am still living

They are so too

In the pride of age or may be just tired

They think that

Even my days are fixed

I know it too

And that is why I use restlessly

Razors on the veins of the Earth.

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