मेरे
पहले आ चुके हैं
पिता
पितृव्य आदि
जब
मैं युवा था
आम
नज़रों से छिप कर
पीते
हुए उम्दा शराब
वे
रणनीतियाँ बनाते थे
कि
कैसे बदले निजाम
पास
बैठे छुटभइए कभी उनकी खिदमत
में पेश करते थे
मांसाहारी
किस्म के चुटकुले
वे
हँसते या नहीं हँसते थे
मैं
आज भी ज़िंदा हूँ
वे
भी हैं
कभी
सोचते हैं क्या
कि
उन दिनों मेरी छँटी हुई दाढ़ी
पर भी
वे
बतिया लेते थे
यह
राजनीति में असफलता की ऊब से
अच्छा
छुटकारा होता था
मैंने
कभी उस्तरे से दाढ़ी नहीं बनाई
उनका
मजाक होता कि मैं डरता हूँ
कि
कभी गले की नस पर न चल जाए
काँपता
हुआ उस्तरा मेरे हाथों में
मैं
आज ज़िंदा हूँ
वे
भी हैं
उम्र
के गुरूर या कि थकान में
वे
सोचते हैं कि
मेरी
भी तारीख तय हैं
यह
तो मैं भी जानता हूँ
इसीलिए
कदम दर कदम
चला
रहा हूँ लगातार
धरती
की नसों पर उस्तरा।
Before
me have come
My
father, uncle and others
When
I was young
They
secretly
Drank
good wine
And
formulated strategies
To
change the regime
Occasionally
small fries sitting close by
Told
them adult jokes
They
would laugh or not laugh at them
I
am still living
They
are so too
Do
they ever remember
That
they chatted then
on
my trimmed beard sometimes
This
was a good relief
From
the failures in politics
I
never used a razor to shave
They
made fun that I am scared
That
I may by mistake
Use
them on the veins on my throat
I
am still living
They
are so too
In
the pride of age or may be just tired
They
think that
Even
my days are fixed
I
know it too
And
that is why I use restlessly
Razors on the veins of the Earth.
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