शब्द - खिलाड़ी पागल हैं शब्दों को बाँधने वाले शब्द तो पाखी हैं फर फर उड़ते हैं हम उन्हें हाथों से पकड़ते हैं धमनियों को पगडंडियाँ बना साथ टहल आते हैं अँधेरी कोठियों तक फिर कागज़ पर जड़ देते हैं कि उनसे रोशनी मिले पागल हैं बँधे शब्दों को देख गीत गुनगुनाने वाले शब्दों का क्या उनको उगना है जैसे जंगली पौधे हम देख हँसते हैं खिसियाते हैं या कभी दुबक जाते हैं गहरे कोनों में शब्दों को देते हैं नाम जैसे कि शब्द पहले शब्द नहीं थे पागल हैं शब्दों से खेलने वाले। (रेवांत 2017) The Word-gamers Crazy who peg the words Words are birds They fly flapping their wings We hold them with hands Move together with them on lanes made of veins to the dark rooms And engrave them on paper That they may show us light Crazy those who sing Watching words confined Words...