साहिल के पास नहा रहे हैं युवक अट्ठाईस , परस्पर स्नेह में बँधे हुए युवक अट्ठाईस ; स्त्री जीवन और हा , इतने एकाकी वर्ष अट्ठाईस। वह तट के पास की चढ़ाई पर बने खूबसूरत मकान की मालकिन है , खिड़की के पर्दे के पीछे , सजी - धजी , सुंदर वह छिपी खड़ी है। युवकों में से कौन उसे सबसे ज्यादा भाता है ? आह , जो सबसे सादा है , वही उसके लिए खूबसूरत है। कहाँ चल पड़ी , भद्रे ? मुझसे नहीं छिप पाओगी , देखता हूँ तुम्हें पानी छपकाते , जबकि अपने कमरे में अनछुई खड़ी हो। उनतीसवीं नहानेवाली साहिल पर आई नाचती , खिलखिलाती , और किसी ने उसे नहीं देखा , पर उसने सबको देखा और उनसे प्यार किया। युवकों की दाढ़ियाँ गीली चमक उठीं , उनके लंबे बालों से पानी बह चला , उनके शरीरों पर चारों ओर छोटी - छोटी नहरें बहने लगीं। एक अदृश्य हाथ भी उनके बदनों पर से गुजरा , काँपते हुए वह उनकी कनपटियों और पसलियों से उतरा। युवक पीठ पर लेटे तैरते हैं , उनके गोरे पेट सूरज की ओर ...