बच्चों के लिए लिखी यह कविता 'चकमक' के ताज़ा अंक में आई है।
बात कहो
एक बात कहो जो धरती जितनी बड़ी हो
एक बात कहो जो बारिश जैसी गीली हो
एक बात कहो जो माँ जैसी सुंदर हो
एक बात कहो जो संगमरमर हो
एक बात कहो जो आग जैसी गर्म हो
एक बात कहो जो पानी जैसी नर्म हो
एक बात कहो जो बादल बादल हो
एक बात कहो जो बिल्कुल पागल हो
बात जो दिन हो रात हो
बातों की बात बेबात हो
एक बात कहो एक बात कहो।
(चकमक - 2014)
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