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Location: हैदराबाद, तेलंगाना, India

बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Saturday, May 19, 2007

वन्देमातरम!

इंस्टीटिउट आफ फिजिक्स में प्रोफेसर माइकेल बेरी का भाषण सुनने गया था। एक बुजुर्ग मिले। पूछा कहाँ से आया हूँ। इंडिया और हैदराबाद सुनकर कहा मैं कभी इंडिया गया नहीं हूँ| थोडी देर बातचीत के बाद पूछा, आपका इलाका पीसफुल है?

पीसफुल?! आधुनिक समय में भारत का दुनिया को एक अवदान है - एक नारा - ओम् शांति।

कल मेरे शहर में बम फटा. पिछले कुछ दिनों से पंजाब में दंगे हो रहे थे। एम एस यू बडोदा के बवाल पर किसी का कहना है:

लाल्टू जी ये "अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता" वाले ऐसे ही जूते खाने लायक हैं, इनके लिये अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता मतलब हिन्दुओं के देवताओं की नग्न तस्वीरें बनाना, सरस्वती वन्दना का विरोध करना आदि है, इन्हें तो अभी अभी ही मारना शुरु किया है, ऐसे लोग अभी और-और पिटेंगे।

यह चिट्ठाकार उज्जैन का है। पिछले साल वहाँ छात्रों के चुनाव के दौरान एक प्रोफेसर की हत्या कर दी गई थी। यह चिट्ठाकार मेरी तरह सरस्वती वन्दना कर सकता है। मैं और वह भारत की उस आधी जनता का हिस्सा नहीं हैं, जो स्कूल नहीं जा पाए।

इंग्लैंड की एक तीन साल की बच्ची मैडलीन गायब हो गई है, दुनिया भर के लोग तलाश में हैं, होना भी चाहिए। मेरे शहर हैदराबाद में बच्चे अमूमन गायब होते रहते हैं। अभी हाल में पुलिस ने एक महिला को पकडा था। किस को खबर है!

वन्देमातरम!

5 Comments:

Blogger अफ़लातून said...

कहाँ थे बन्धु? कौन से IOP में गए थे?अब लगा कि आ गए मोर्चे पर।साधुवाद।

5:30 PM, May 19, 2007  
Blogger परमजीत सिहँ बाली said...

अच्छे विचार प्रेषित किए हैं।

5:35 PM, May 19, 2007  
Blogger Divine India said...

बहुत उत्तम विचार…।

9:33 PM, May 19, 2007  
Blogger अभिनव said...

नमस्कार लाल्टूजी, बहुत समय बाद आपको नेट पर देखा। आशा है कि आगे भी आपके अग्निधर्मा लेख पढ़ने को प्राप्त होते रहेंगे।

2:45 AM, May 20, 2007  
Blogger मसिजीवी said...

ये अच्‍छा विचार कोलाज खींचा आपने। उधर अविनाश भी मोर्चा ले रहे हैं, इस मुद्दे पर।
आइए हाथ उठाएं हम भी

7:25 PM, May 20, 2007  

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