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Showing posts from October, 2010

करोड़ों की लड़ाई

एक समय था जब हर किसी को सही सूचनाएं उपलब्ध नहीं होती थीं . बड़े शहरों में पुस्तकालय होते थे - छोटे शहरों में भी होते थे पर उनका मिजाज़ खास ढंग का होता था . गाँव में बैठ कर सूचनाएं प्राप्त करना मुश्किल था . आज ऐसा नहीं है , अगर किसी को पढ़ने लिखने की सुविधा मिली है , और निम्न मध्य वर्ग जैसा भी जीवन स्तर है , तो मुश्किल सही इंटर नेट की सुविधा गाँव में भी उपलब्ध है - कम से कम अधिकतर गाँवों के लिए यह कहा जा सकता है . इसलिए अब जानकारी प्राप्त करें या नहीं , और अगर करें तो किस बात को सच मानें या किसे गलत यह व्यक्ति के ऊपर निर्भर है . अक्सर हम अपने पूर्वाग्रहों के आधार पर ख़ास तरह की जानकारी को सच और अन्य बातों को झूठ मानते हैं . और वैसे भी बचपन से जिन बातों को सच माना है उसे अचानक एक दिन गलत मान लेना कोई आसान बात तो है नहीं . इसलिए चाहे अनचाहे अपने खयालों से विपरीत कोई कुछ कहता हो तो असभ्य फूहड़ ही सही किसी भी भाषा में उसका विरोध करना ज़रूरी लगता है . मुझे सामान्यतः ऐसे लोगों से कोई दिक्कत नहीं होती , आखिर जो जानता नहीं , एक दिन वह सही बातें जान सकता है और इसलिए उसे दोष देना मैं वाज...

मुझे अरुंधती से ईर्ष्या है

मैं उन करोड़ों लोगों में से हूँ, जो इस वक़्त अरुंधती के साथ हैं. ये सभी लोग अरुंधती के साथ जेल जाने की हिम्मत नहीं रखते, मैं भी डरपोक हूँ. पर इस वक़्त मैं अरुंधती का साथ देने के लिए जेल जाने को भी तैयार हूँ. अरुंधती ने जो कहा है वह हम उन सब लोगों की तरफ से कहा है, जो निरंतर हो रहे अन्याय को सह नहीं सकते. देशभक्ति के नाम पर मुल्क के गरीबों के खून पसीने को कश्मीरियों के दमन के लिए बहा देना नाजायज है और यह कभी भी जायज नहीं हो सकता. कश्मीर पर सोचते हुए हम लोग राष्ट्रवाद के मुहावरों में फंसे रह जाते हैं. जब इसी बीच लोग मर रहे हैं, कश्मीरी मर रहे हैं, हिन्दुस्तानी मर रहे हैं. करोड़ों करोड़ों रुपए तबाह हो रहे हैं. किसलिए, सिर्फ एक नफरत का समंदर इकठ्ठा करने के लिए. यह सही है कि हमें इस बात की चिंता है की आज़ाद कश्मीर का स्वरुप कैसा होगा और हमारी और पकिस्तान की हुकूमतों जैसी ही सरकार आगे आजादी के बाद उनकी भी हो तो आज से कोई बेहतर स्थिति कश्मीरियों की तब होगी यह नहीं कहा जा सकता. पर अगर यह उनके लिए एक ऐतिहासिक गलती साबित होती है तो इस गलती को करने का अधिकार उनको है. जिनको यह द...

अरविन्द गुप्ता के बहाने

अरविन्द से मेरी पहली मुलाकात १९७९ में हुई थी . हमलोग आई आई टी कानपुर से आई आई टी बाम्बे के सांस्कृतिक उत्सव मूड इंडिगो में भाग लेने जा रहे थे . मैं हिंदी डीबेट के लिए जा रहा था ( और मुझे इसमें पहला पुरस्कार भी मिला था :-) ) उस टीम में कई बढ़िया लोग थे . शास्त्रीय संगीत में भीमसेन जोशी का शिष्य नरेन्द्र दातार था , जो इन दिनों कहीं कनाडा में बसा है . वायोलिन बजाने वाला राजय गोयल मेरा बड़ा ही प्रिय था . पता नहीं इन दिनों वह कहाँ है , मैं उन दिनों स्टूडेंट्स सीनेट का सदस्य था और सीनेट का कन्वीनर एम् टेक का विद्यार्थी संजीव भार्गव हमारे साथ था , जो बाद में जबलपुर में इन्फौर्मेशन टेक्नोलोजी और मेटलर्जी वाले संस्थान का निर्देशक बना . अभी पिछले साल उसका देहांत हो गया . रास्ते में बी टेक वाले स्टूडेंट्स तरह तरह के खेल खेलते रहे . मैंने उनसे काऊस एंड बुल्स वाला खेल सीखा , आज तक जहां भी जिसको भी मैंने यह खेल सिखाया है , उसको कुछ समय तक तो ज़रूर ही इस खेल का नशा हो जाता है ( एक मित्र के साथ डाक के जरिए साल भर हमारा यह खेल चलता रहा जब हम भारत में थे और मित्र अमरीका में !) . तो शायद पूना के पास क...

लेट पोस्ट

एक हफ्ता लेट पोस्ट कर रहा हूं। लिख लिया था पर पोस्ट नहीं कर पाया था। कुछ बिखरे से ख़याल हैं। चीले देश के कोपीपाओ क्षेत्र की खदान में फंसे तैंतीस लोगों की दो महीने की दर्दनाक कैद से मुक्ति इन दिनों की बड़ी खबर है। आधुनिक तकनोलोजी की एक बड़ी सफलता के अलावा यह मानव की असहायता से मुक्ति के लिए संसार भर के लोगों की एकजुटता का अद्भुत उदाहरण है। कहने को यह महज एक देश के लोगों की कहानी है, पर विश्व भर में जिस तरह लोगों ने उत्सुकता के साथ इस घटना को टी वी के परदे पर देखा या अखबारों में पढ़ा, उससे पता चलता है कि अंततः मानव मानव के बीच प्रेम का संबध ही अधिक बुनियादी है न कि नफरत का। ऐसी ही भावुकता पहले भी नज़र आयी है जब हरियाणा के प्रिंस नामक एक बच्चे को एक कुँए में से निकाल बचाया गया था। इसके विपरीत हमारे देश में जो ख़बरें इन दिनों चर्चा में हैं, वे मानव को मानव से विछिन्न करने वाली ख़बरें हैं। एक निहायत ही पिछड़ेपन की सोच को लेकर बहुसंख्यक लोगों को उत्तेजित कर अल्पसंख्यकों के खिलाफ सामयिक तौर पर ही सही जीत हासिल करने का संतोष कुछ लोगों को है। एक कोशिश है कि अन्याय के विरोध में कोई बातचीत न ...