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Showing posts from May, 2018

साम्यवाद में लोकतांत्रिक स्वरूप विज्ञानधर्मी माँग है।

मार्क्सवाद और विज्ञान : कुछ समकालीन सवाल - 'समकालीन जनमत' में आ रहा लेख मार्क्सवाद के कट्टर विरोधी कार्ल पॉपर ने विज्ञान क्या है और क्या नहीं है , इसमें फ़र्क करने को विज्ञान के दर्शन का बड़ा सवाल माना। कुदरत में हो रही एक ही घटना को कई तरह के सिद्धांतों से समझाया जा सकता है , पर इनमें से कौन सा सिद्धांत सही है , इसे कैसे तय करें ? पारंपरिक तरीका यह है कि किसी एक घटना से जुड़ी और दूसरी घटनाओं को हम किस हद तक समझ पाते हैं , आगे हो सकने वाली और घटनाओं के बारे में क्या कुछ पहले से कह पाते हैं , प्रयोगों द्वारा वह सही दिखता है या नहीं , इससे पता चलता है कि सही वैज्ञानिक सिद्धांत कौन सा है। पॉपर ने फॉल्सिफिकेशन की प्रस्तावना की। फॉल्स यानी ग़लत और फॉल्सिफिकेशन यानी किसी बात को ग़लत दिखाना। कोई सिद्धांत तभी वैज्ञानिक हो सकता है जब उसे ग़लत साबित करने लायक परिस्थितियों और अवलोकनों की कल्पना की जा सके। मसलन गुरुत्व - आकर्षण का सिद्धांत वैज्ञानिक है , क्योंकि खिड़की से कूदने पर नीचे जाने की बजाय अगर ऊपर जा पाते तो यह सिद्धांत ग़लत साबित हो जाता। ईश्वर के होना वैज्ञानिक सिद्धांत ...