हर कोई किसी से बदला ले रहा है सभी चेहरे एक से हो गए हैं हर कोई किसी से बदला ले रहा है कोई जागता है चिंघाड़ता कोई सोता है विलापता चीख पीड़ा की है या कोई धावा कर रहा है हर कोई कहीं किसी दीवार से माथा टकरा रहा है जो उसने खुद ही खड़ी की हुई है मेरा बदन पिस्सुओं से भर गया है रेंगते जीवाणु हैं रोओं के आर - पार अनगिनत चेहरों में अपना चेहरा ढूँढता हूँ कोई समंदर है मार - मार काट - काट कहती लहरें उछालता सभी चेहरे एक से हो गए हैं हर कोई किसी से बदला ले रहा है सड़कों पर नंग - धड़ंग दौड़ रहे हैं शैतान के अनुचर जल रही हैं बस्तियाँ , हँस रहा है शैतान। - (अदहन 2018)