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Showing posts from November, 2016

चुपचाप अट्टहास - 7

मैं अपनी गुफा से निकला मेरे दाँतों से खून टपक रहा मुझे पकड़ने की कोशिश में थक - चूर रहे लोकतंत्र के प्रहरी सूरज , लबालब कालिमा लपेटे तप रहा आधा आस्मान समेटे अमात्य खोद रहा खाइयाँ गिरते चले विरोधी शक्तिपात कर दिया है मैंने उसमें मुझसे ज्यादा ही दिखला रहा वह असर मैंने अनधुले दाँतों पर सफेद रंग चढ़ाया मुझे मिलता रहा खून का स्वाद और लोगों ने देखी मेरी धवल मुस्कान मेरी जादुई छड़ी किसी को नहीं दिखती विजय पताका फहराती किला दर किला काली घनघोर काली हवाएँ ज़हरीली साँस लिए मुड़ रहीं रोशनी काँपती - सी दूर होती जा रही।  I came out from my caves Blood dripping from my teeth And the sentries of democracy Are exhausted in their attempts to catch me The sun, drenched in darkness Stretched out hot in half the sky My minister digging pits And my rivals falling in them I have poured power in him He is even more excited than me...

हरमन-प्यारा 'साहित्यिक नहीं' गायक-गीतकार बॉब डिलन और नोबेल पुरस्कार

('समयांतर' के ताज़ा अंक में प्रकाशित लेख - पत्रिका में 'मार्कूसी' नाम ग़लती से 'मार्क्स' छपा है) बॉब डिलन को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा होते ही न्यूयॉर्क टाइम्स में आना नॉर्थ ने अपने आलेख में लिखा कि बॉब डिलन कोई साहित्यिक नहीं थे। साहित्य में नोबेल पुरस्कार दिया जाना चाहिए और इस साल ऐसा नहीं होगा। प्रसिद्ध पत्रिका न्यूयॉर्कर में रोज़ाना कार्टून में डेविड सिप्रेस ने ग्राफिक टिप्पणी की है - एक छोटे शहर का लड़का हाथ में बेंजो लिए सड़क पर अंगूठा उठाए खड़ा है कि कोई गाड़ी रुक जाए और वह सवारी कर सके। खयालों में वह कई सारे कामों की सूची तैयार कर रहा है - न्यूयॉर्क शहर जाना है , कुछ क्लबों में फोक ( लोक संगीत ) गाना है , कुछ गीत लिखने हैं , नोबेल पुरस्कार लेना है।   जाहिर है कि साहित्यिक दुनिया में बॉब डिलन को नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा से तहलका मचा हुआ है। हमारे अपने अंग्रेज़ीदाँ बंधुओं ने भी लिखा है - ' द हिंदू ' में लेख आ चुका है। पर इस पर चिल्ल - पों मचाने की हिम्मत कम लोगों की है। क्योंकि सही या ग़लत , जैसा भी है , बॉब डिलन को नोबे...

इतिहास की ग़लती नहीं

वे तारीखें तुम्हें याद हैं जब - जब तवारीख़ को सधा गढ़ा था अपने लिए वे तारीखें मेरे लिए प्राणवायु थीं मेरे पखेरु को जैसे उन्होंने कछुए का खून पिलाया हो तुमने कविताएँ लिखीं बर्लिन को याद किया मैं शैतान की पूजा कर रहा था मैंने तय कर लिया है कि मौसम मेरी मुट्ठी में बंद होने को है गोला बारूद तलवार खंजर सब बाँट दिए हैं पैने दाँत निकाल सड़कों पर उतर आए हैं मेरे रक्तबीज मैं एक मकसद से धरती पर आया हूँ इतिहास को गुलाम बनाने इतिहास मेरा गुलाम है मेरे नंगे सिर पर तुम्हें सींग नहीं दिखते यह इतिहास की ग़लती नहीं है। Do you remember the dates When I shaped history for myself? Those dates were lifelines for me They fed my soul the magic turtle-blood You wrote poems on the dates You remembered Berlin I worshiped Satan then I have decided that I will be lord of the times I have distributed all the explosives and the knives The monsters from my bloo...

कौन खुदा का बंदा गिरा सकता

मेरे वेश पर क्या नहीं कहा गया पर मैंने परवाह ही कहाँ की मेरा नंगा सिर तना रहा मेरे नाम की हजारों प्रतियाँ ढोते इस महँगे भेष के ऊपर सलीके से इसे सिला गया पहले पहना इसे मेरे ख़ैरख़ाहों ने क्या खबर कि इसके धागों में किसी ने मिला रखा हो ज़हर फिक्र हुई थी एक पल कि ज़हर से बचे पर जिन्होंने मेरे पहले पहना उनके बदन से आ गए हों कुछ जीव सूक्ष्म अगर फिर अपना सीना आईने में देखा इसके अंदर कितना तो जिसकी चौड़ाई पर नाज़ है मुझे खुश था मैं और भूल गया ज़हर वहर जिसे मिला है शैतान का वर कौन खुदा का बंदा गिरा सकता उसे! A lot has been said about what I wear How do I care I have held my bare head high On this disguise carrying my name thousands of times It was sewn neatly At first my well-wishers wore it You know there could be poison in it And for a moment I did worry Though saved from poison but from their skin A few bacteria might have crawled on to me And then in the mirror I saw my chest inside the dress Oh how I pride on its size I felt happy and...

यह मेरा मौसम है

मुझे जो मिला वह लोगों ने दिया मैंने जो किया वह लोगों ने किया मैं महज खिलाड़ी हूँ ज़मीं आस्मां के बीच पैर पसारता और और धरती पर पंजे गाड़ता सोचा नहीं कि मुझमें लोभ है चाहतें मुझमें कहीं बैठी हैं जाना नहीं    मैं नहीं शैतान का पहला झंडाबरदार मेरे पीछे दौड़ते आते प्यादे सूबेदार जिनके ज़हन की नसों में ताज़ा हवा के गंध - सने सपने नहीं हैं कोई पहली बार नहीं जागे हैं जुगुप्सा के पोखरों में डूबे लबालब सुबह की धूप को बेरंग चादरों में क़ैद करते    ये लोग इंतज़ार में थे कि मैं आऊँ और इमारत दर इमारत मलबे में बदलती बह चले तूफानी हवा तुम चीखो प्यार प्यार मन मार करो मुझसे गुहार एक - एक फूल बचाने रोओ बार - बार कोई नहीं सुनेगा - यह मेरा मौसम है    दरवाजे खोलो और स्वागत करो उनका जो तुम्हारे लिए खंजर लिए खड़े हैं।  What I have is what people gave me What I did is what ...

समझ लो

तुम्हारी फितरत कि परेशान रहते हो तिनका - तिनका इकट्ठा करते हो    मेरे खिलाफ साक्ष्य कि मैंने कहाँ क्या कह दिया सोचते हो कि एक ही मेंह में  भीगा धरती पर एक इंसान कैसे हो सकता है औरों पर इतना बेरहम    खुल कर कहता हूँ जैसे कोई वेश्या नहीं होती मुहताज किसी की सहानुभूति की मुझे क्या फिक्र कि तुम जानते हो मैंने कब किसके साथ क्या किया तुम्हारे हर साक्ष्य को हर साक्षी को पैरों तले रौंदती गुजरेंगीं मेरी सेनाएँ वक्त मेरी मुट्ठियों में है समझ लो जितनी जल्दी समझ सकते हो। You succumb to your nature A piece at a time you collect   Evidence against me   What I said and where   You wonder that how a person   Feeling the same rain drops on earth   could be so insensitive to others   I say it openly   Like a prostitute does not care   For sympathy from others   I give a damn that you know   Of what...

खाली-खाली मेरा भी मन

सदियों बाद भरे होंगे पन्ने    जो आज खाली हैं मौत की गंध वहाँ होगी मेरी नासिका में जो मौजूद है शून्य होगा    जिसका दावा मैं अर्द्ध - पद्मासन करते हुए करता हूँ मेरे प्रेम विहीन जीवन में सहस्र सूर्यों की ऊर्जा है जो पल भर में गहनतम अंधकार पैदा कर सकती है दूर ग्रहों की वीरानी से ज्यादा ठंडक उसमें है इस गहन ठंडक से खेलना मेरा मैथुन है गरजता उछलता घोर अँधेरे में डूबता हूँ देखते हुए इन खाली पन्नों को    जिनमें बहुत सारा खून बिखेरा जाना है    भरा जाना है मेरी सेना के खेलों , मेरे अमात्य की चालों से , एक बार खाली - खाली सा हो जाता मेरा भी मन। Heart Filled With Emptiness The pages that look blank today will be filled centuries later They will reek of death That I smell today They will carry the vacuum That I claim today while on my casual Yoga postures My loveless life has energy of thousands of suns And it can bring the deepes...

चुपचाप अट्टहास

सदियों बाद लोग मेरे बारे में पढ़ेंगे कुचली गईं प्यार में बँधी हथेलियाँ जब निकला मेरे होंठों से कोई लफ्ज़ इतिहास - भूगोल और कविता को भी    काली बर्फ से ढँकता सोची - समझी कवायद था    मेरे होंठों से निकलता हर लफ्ज़ शांत चित्त    बंदूक तलवार उठाए बिना    मैंने कत्ल करवाए फौज पुलिस नहीं होती तो भी होता मूर्तिमान    प्रेम का विलोम हर पल चुपचाप    अट्टहास करता शैतान। Quietly Laughing Aloud  People will read of me centuries later That hands twined in love were crushed When my lips uttered a word A word from my mouth Was a well-thought design Sealing history and geography, even poetry,  With black snow. With a cool mind   Without any weapon in hand I arranged for mayhem Even if there was no army or police I would be there The antonym of love Quiet forever Laughing alo...

कथाएँ

रेशे किसने मुझसे कहा , " हवा , मेरे साथ चलो। "  मैं सदियों तक बहता रहा , साथ नहीं चल पाया।  अचानक दस्तक हुई और वह मेरे पास है। वह , मैं , मेरी चेतना ! विस्थापित जन हमें चक्रवातों में से उबार लाते हैं। हम एक दूसरे को देखते हैं।  जानते हैं कि कहीं कोई जड़ नहीं है। जड़ों को उखाड़ कर जो चले गए हैं , वे चक्रवातों में फँस गए हैं ,   उनसे छुटकारा नहीं। रेले में बहते हुए हम साथ सफर करते हैं। मैं कहानी लिखने चला हूँ।  बातें दिमाग में हैं और लिखते हुए शब्दों की अपनी सत्ता हावी हो जाती है  और कहानी खो जाती है। यह बात भी सदियों पुरानी है। बहुतों ने मुझे उम्दा किस्सागो माना। मैं कभी मुस्कराता , कभी गंभीर सुनता रहा। झूठ सच बन कर बहता रहा। जड़ें बनीं तो झूठ की बनीं। बीच दीवार में एक रेशा लटका हुआ है। धागा नहीं।  जैसे फूलझाड़ू से निकला कोई रेशा सा है। सिर पर के बालों की तरह लगता है।  फिर नज़र आता है कि यह एक रेशा नहीं , कम से कम छः सात रेशों का गुत्था है।   वही एकबार बाईपास हो चुका है। दिन में गिनकर चार सिगरेट पीता हूँ। वह आई ...