कोई नई बात नहीं एक और आलेख एक और लिंक http://www.timesonline.co.uk/tol/news/world/asia/article6837585.ece कोई अदम गोंडवी लिखे फिर एक गीत 'सौ में सत्तर आदमी जब भूख से नाशाद हो दिल पे रख कर हाथ कहिए देश क्या आज़ाद है...' दोस्तो, मेरे पिछले एक चिट्ठे पर किसी अंजान भाई की एक टिप्पणी आई । निरपेक्षता का आग्रह है। मैंने एक जवाबी टिप्पणी में स्पष्ट किया है कि प्रेषक की टिप्पणी न केवल प्रासंगिक नहीं, बल्कि उसके अपने पूर्वाग्रहों की ओर संकेत करती है। ऊपर Times की लिंक उसी सिलसिले में है।