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Showing posts from March, 2007

जो सुधरेंगे, सो सुधरेंगे

क्या बड़ी कक्षाओं को यानी जिनमें छात्रों की संख्या एक हद से ज्यादा हो, ढंग से पढाया जा सकता है? शिक्षा शास्त्रियों का मानना है कि प्रारंभिक स्तर पर प्रति शिक्षक जैसे जैसे बच्चों की संख्या बीस से ज्यादा बढ़ती है शिक्षा का स्तर लगातार गिरता रहता है। मेरा अपना अनुभव यह है कि तथाकथित अच्छे कान्वेंट स्कूलों में बेहतर पढ़ाई का कारण स्कूल का बेहतर होना नहीं, बल्कि पालकों का अधिक सचेत होना है। स्कूल सिर्फ अनुशासन सिखाता है, जो स्व-शिक्षा में मदद नहीं करता, बाधक ज़रुर होता है। शिक्षा शास्त्री 'विंडोज़ अॉफ लर्निंग' की बात करते हैं, जिनमें उम्र के विभिन्न पड़ावों में सीखने के अलग-अलग मानदंड माने गए हैं। क्या सीखना है, कैसे सीखना है, इन सब बातों पर पिछली सदियों में बहुत शोध हुआ है, बहस भी बहुत हुई है। कालेज विश्वविद्यालय स्तर पर आने तक, व्यक्ति सीखने की खिड़कियों को पार कर चुका होता है। अब समय है खुद यह जानने का कि मुझे क्या पढ़ना सीखना है। परीक्षा इसलिए नहीं कि स्कूल का डंडा है, इसलिए कि मुझे अपनी काबिलियत की समझ होनी चाहिए और दूसरों को भी मैं यह दिखाना चाहता हूँ कि मैं कितना काबिल ...

चार लाइनें

मसिजीवी ने दो बार याद दिलाया कि चिट्ठों की दुनिया से छूट चुका हूँ। बिल्कुल छूटा नहीं हूँ। पढ़ता रहता हूँ। खुद लिख नहीं पा रहा था। चलो तो चार लाइनें कुछ लिखा जाए। उत्तरी भारत के दीगर इलाकों में जब लोग बसंत की आवभगत में जुटे होते हैं, हैदराबाद और बंगलूर जैसे दक्खनी शहरों में गर्मी का कहर बरपने लगता है। हम भी इसी दौर में हैं। पता नहीं कैसे वर्षों से खोया धूप का चश्मा ढूँढ निकाला है। बड़े काले शीशों वाली ऐनक। पानी की समस्या है। नगरपालिका मंजीरा बंध से पानी सप्लाई करती है। पर इसका कोटा है। और जिस तरह चारों ओर धड़ाधड़ मकान बनते जा रहे हैं, पानी बँट रहा है और कुल सप्लाई खपत की तुलना में बहुत कम है। इसलिए बोर वेल का इस्तेमाल हर घर में होता है। बोर वेल के पानी में लवणों की मात्रा अधिक है और पानी का स्वाद अच्छा नहीं है। तो क्या किया जाए? नगरपालिका टैंकरों में पानी बेचती भी है। मंजीरा के अलग रेट और बोर के पानी के अलग। तो जिसके पास पैसे हैं, उसे बढ़िया पानी और जिसके पास नहीं उसे नहीं। सोचने की बात है। किसानों को पानी चाहिए। झोपड़ियों में रह रहे गरीब लोग घंटों इंतज़ार कर पानी लेते हैं। हमें ...