मिस्र में ताज़ा इंक़लाब की ख़बरों का हमारे यहाँ अच्छा स्वागत हुआ है। मिस्र के साथ एक ज़माने में भारत के संबंध गहरे थे। नासिर, नेहरु और टीटो की गुट निरपेक्ष की तिकड़ी का वह ज़माना ऐसा था जब भारत एक कमजोर देश होते हुए भी विश्व राजनीति में अच्छी हैसियत रखता था। उस ज़माने में राष्ट्रवाद में स्वाधीनता संग्राम और मानव- मुक्ति की पहचान थी। वह आज के वक़्त का घिनौना राष्ट्रवाद न था। इसलिए आज जब मिस्र के बहाने कुछ लोग हमारे यहाँ राष्ट्रवाद को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं, तो हम मुक्तिबोध की पंक्तियाँ दोहराते हैं।
दुनिया के हिस्सों में चारों ओर
जन-जन का युध्द एक
मस्तक की महिमा
व अन्तर की ऊष्मा
से उठती है ज्वाला अतिक्रुध्द एक।
संग्राम घोष एक
जीवन-संताप एक।
क्रांति का, निर्माण का, विजय का सेहरा एक
चाहे जिस देश , प्रांत, पुर का हो
जन-जन का चेहरा एक।