(5 नवंबर 2022 को राज्य संग्रहालय , भोपाल में ' होविशिका विज्ञान शृंखला ' में दिया गया पहला व्याख्यान ) ' होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम ' व्याख्यानमाला में भागीदारी करते हुए मुझे खुशी है , पर साथ ढेर सारा संकोच भी है। इस शहर में होविशिका के साथ वर्षों जुड़े रहे दिग्गज मौजूद हैं , जिन्होंने लगातार इसकी दशा और दिशा तय की हैं। इनमें से ज्यादातर मुझसे वरिष्ठ हैं। जो मुझसे उम्र में कम हैं , उनके पास तजुर्बों का खजाना है और इन सबके सामने मैं आज भी खुद को 28 साल का युवक महसूस करता हूँ , जो चंडीगढ़ से वाया दिल्ली और रतलाम उज्जैन पहुँचा है और होविशिका प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने आया है। मैंने अपने उस्ताद के साथ और बाद में शागिर्दों के साथ जो रीसर्च का काम किया है , वह पारंपरिक ढंग के प्रयोगों का नहीं , बल्कि कागज़ , कलम और कंप्यूटरों पर किया सैद्धांतिक काम है। अक्सर अपने काम का औचित्य समझने / समझाने के लिए औरों द्वारा किए प्रयोग , जिन्हें ' वेट लैब ' कहते हैं , ऐसे काम के साथ संगति की कोशिश की है। कभी वेट लैब में हुए काम को सैद्धांतिक जामा पहनाया है और कभी प्रयोग कर...