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Showing posts from February, 2021

और तीन कविताएँ

 हाल में फेसबुक पर पोस्ट की कुछ कविताएँ  नए साल के पहले कविता की हत्या 2021 का नया साल आने को है कविता की हत्या करते हुए मैं फिर एक बार कहता हूँ मुझे प्रधान मंत्री पसंद नहीं है हर जमाने में यह काम कवियों को करना पड़ा है कि वे सही बात कहने के लिए थोड़ी देर कविता को ज़मींदोज़ रखें मुझे सिंघु बॉर्डर पर आए कलाकारों के गीत पसंद हैं हालाँकि सूफी गायक ने कलाकारों की जगह किसान नेताओं पर बात करने को  कहा है किसानी पर काले कानून लागू हैं और ये कानून गू जैसे गंदे हैं वैसे तो गू गंदा नहीं होता पर अंग्रेज़ी में मदरफकिंग लॉ - ज़ कहना मुमकिन है हिन्दी में ऐसा कहने पर मुमकिन है कि संपादक नाराज़ हो जाएँ मानता हूँ कि मैं डरपोक हूँ इसलिए सिंघु बॉर्डर पर गीत सुनने जाने की हिम्मत मुझमें नहीं है वहाँ आज रात 2 डिग्री तक तापमान होगा गीत सुना सकता हूँ कि हर किसी की तरह किसान को भी जिस्मानी तपिश चाहिए किसान भी जीना चाहता है फिलहाल यही कि कविता में पहला लफ्ज़ 2021 होना ज़रूरी था कि अडाणी - अंबानी - अंग्रेज़ी में गायब हो रहे भारत को याद रहे कि शैतान का नाम लेते हुए कविता की हत्या ज़रूरी काम बन गया था।...