हाल में फेसबुक पर पोस्ट की कुछ कविताएँ
नए साल के पहले कविता की हत्या
2021 का नया साल आने को है
कविता की हत्या करते हुए मैं फिर एक बार कहता हूँ
मुझे प्रधान मंत्री पसंद नहीं है
हर जमाने में यह काम कवियों को करना पड़ा है
कि वे सही बात कहने के लिए थोड़ी देर कविता को ज़मींदोज़ रखें
मुझे सिंघु बॉर्डर पर आए कलाकारों के गीत पसंद हैं
हालाँकि सूफी गायक ने कलाकारों की जगह किसान नेताओं पर बात करने को
कहा है
किसानी पर काले कानून लागू हैं
और ये कानून गू जैसे गंदे हैं
वैसे तो गू गंदा नहीं होता
पर अंग्रेज़ी में मदरफकिंग लॉ-ज़ कहना मुमकिन है
हिन्दी में ऐसा कहने पर मुमकिन है कि संपादक नाराज़ हो जाएँ
मानता हूँ कि मैं डरपोक हूँ
इसलिए सिंघु बॉर्डर पर गीत सुनने जाने की हिम्मत मुझमें नहीं है
वहाँ आज रात 2 डिग्री तक तापमान होगा
गीत सुना सकता हूँ कि हर किसी की तरह किसान को भी जिस्मानी तपिश चाहिए
किसान भी जीना चाहता है
फिलहाल यही कि कविता में पहला लफ्ज़ 2021 होना ज़रूरी था
कि अडाणी-अंबानी-अंग्रेज़ी में गायब हो रहे भारत को याद रहे
कि शैतान का नाम लेते हुए कविता की हत्या ज़रूरी काम बन गया था।
Murdering a poem on New Year’s eve
2021 is round the corner
II Murder a poem and say it again
That I do not like the prime minister
Poets in every age have to do this
To say the right thing they bury poetry under the earth for a
while
I like the songs that the artistes sing at the Singhu border
Though a Sufi singer has asked us to talk of the farmer
leaders and not the singers
They have passed laws on farming
And these laws are filthy like shit
.
But of course shit is not filth
You can say motherfucking laws in English
Can’t say the same in Hindi for the editors do mind it
I accept that I am a coward
And I do not have the courage to go to the Singhu border to
listen to the songs
It will be 2 degrees Celsius there tonight
I can sing that like everyone else the farmer also needs to keep their
body warm
The farmer too wants to live
For now take it that 2021 must be the first word in the poem
That India of Adani-Ambani-Anglais should remember
That it was imperative to murder poetry thinking of the Satan.
विज्ञान में हिन्दी
प्यार में गलबँहियाँ नहीं, प्रेमालिंगन करती है।
काला को कृष्ण, गड्ढे को गह्वर कहती है।
जैसे कृष्ण के मुख-गह्वर में समाई सारी कायनात
गढ़ी गई हिन्दी में खो जाता है विज्ञान।
आस-पास बथेरे* काले गड्ढे हैं , ज़ुबान के, अदब के, इतिहास-भूगोल के,
(*बहुतेरे)
(एक वैज्ञानिक ने तस्वीरें छापी हैं और वह एक स्त्री है
अँधेरे गड्ढों में फँसे लोग छानबीन में लगे हैं
कि किन मर्दों का काम इन तस्वीरों को बनाने में जुड़ा है)
ताज़िंदगी इनमें गिरे रहते हैं हम
एक दिन रोशनी आती है
कोई नहीं जानता फिर क्या होता है
इतिहास-भूगोल, विज्ञान, सब विलीन हो जाता है
भटकता रह जाता है प्यार और एक प्यारा काला-गड्ढा।
न बचता है विज्ञान और न हिन्दी बचती है। - 2019
Hindi in Science
You do not hug with affection, you do the Sanskrit Premalingana
Black is Sanskrit Krishna, a pit is Sanskrit Gahwara
As the legend has that the creation was contained in the mukha-
gahwara of Lord Krishna
So is science lost forever in engineered Hindi.
There are numerous dark holes around, of langauge, of culture and
of history and geography,
(A scientist, a woman, publishes pictures
Folks trapped in dark holes investigate for male names to go with
the figures)
We fall and stay trapped in these holes lifelong
One day there is light
No one knows what happens then
History, geography, science, all disappear
Love goes astray and a pretty black hole remains.
Neither science nor Hindi survives.
रज़िया
उसमें पानी या आग
या ज़मीं की प्यास
या पौधों की जड़ें जो ज़मीं में दूर तक समाई हुई थीं
या ख़ून था जो अब तक कहीं मेरे-तुम्हारे जिस्म में बह रहा है
सल्तनत पर काबिज वह इश्क की मारी हुई थी
हिंद की सल्तनत, आलिमों-दानिशमंदों से भरा दरबार
और बीच बहती यमुना पर पूरनमासी का चाँद
और रज़िया और याकूत की धड़कनें
इसे सपना कह सकती हो
हजार साल के बाद और हो भी क्या सकता है
सपना हमारे इर्द-गिर्द चकराता है
औरत और उसका इश्क सरपट दौड़ते हैं
उनके अपने उनका पीछा करते हैं
और तुम तड़पती हो
कि किस अरबी घोड़े पर सवार होकर यमुना से दूर जाए
कैसे अपनी जान बचाए
उसके कपड़े फट गए हैं
वह दौड़ रही है
इसे सपना कह सकती हो
ऐसे सपने में जीना मानीख़ेज़ है
चाँद धीरज के साथ तुम्हें देखता है
साए गहराते जाते हैं
तुम्हारे अंदर रजिया दौड़ती है
इसे सपना कह सकती हो। (2019)
Razia
In her aqua or fire
Or thirst for the Earth
Or roots of plants reaching deeper
Or may be the blood that flows in bodies yours and mine
Ruling the Sultanate she fell to love
Sultanate of Hind, the court full of the knowledgable and wise
And the full moon over the Yamuna river flowing across
and hearts beating – of Razia and Yaqoot
You could call it a dream
What else could it be after a thousand years
The dream roves around us
The woman and her love run and run
Their own are chasing them
And you feel the pain
Which Arabian horse must she ride to go away from the Yamuna
Oh, how will she save herself
Her clothes are tattered
She runs
You could call it a dream
Life acquires meaning in such dreams
The moon watches you with patience
The shadows get darker
Razia runs within you
You could call it a dream.
(From Wikipedia - Razia's ascension to the throne of Delhi was
unique not only because she was a woman, but also because the
the support from the general public was the driving force behind
her appointment ... Razia's proximity to an Abyssinian slave ...
alienated the nobility and clerics and soon provoked open
rebellion and conspiracy... It is argued that the rumors spread
by the nobles about her affair with Yaqut were false and was
done so as to bring about her downfall)
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