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Showing posts from April, 2019

राजा जी के दो सींग

यह लेख 24 मार्च को 'मुसोलिनी से प्रेरित संघ परिवार को संविधान से क्या लेना देना' शीर्षक से janjwar.com  पर पोस्ट हुआ है।  बब्बन ने , हज्जाम ने कहा बचपन में कहानी पढ़ी थी , ‘ राजा जी के दो सींग , किन्ने कहा , किसने कहा - बब्बन ने , हज्जाम ने कहा। ' हाल के दिनों में अक्सर एक बात सुनाई पड़ती है - मोदी न हो तो क्या होगा , देश डूब जाएगा। पूछें किन्ने कहा , किसने कहा , तो पता चलेगा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रवक्ता ने कहा। यह हमारी नियति है कि जिनको सुनने की कभी सपने में भी न सोची थी , वे लोग हर कहीं चीख कर बकवास करते नज़र आते हैं। इन्होंने यह मान लिया है कि देश के लोग बेवकूफ हैं , किसी को कुछ अता - पता नहीं है , जो मर्जी बोल दो , कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला है। खास कर जिन राज्यों में कॉंग्रेस बड़ी पार्टी है , जैसे हिंदी प्रदेशों और गुजरात में , वहाँ संसद के चुनावों में वैचारिक सवाल या तालीम , सेहत जैसे बुनियादी मुद्दों को छोड़ सबका ध्यान इसी पर रहे कि अधिनायक का सीना छप्पन इंच का है या नहीं , संघ की कोशिश यही है। मुमकिन है कि कुछ लोग इस झाँसे में आ...

वापस वह ज़मीन चाहिए

यह लेख तक़रीबन दो महीने पहले लिखा था। मामूली संपादन के बाद 'द वायर' में 'लोकतंत्र और संविधान से संघ-भाजपा का प्रयोग' शीर्षक से 14 मार्च को छपा था। अगली सरकार संघ परिवार की क्यों नहीं आज़ादी के बाद से भारत में अब तक अलग - अलग हुक्काम आए। तक़रीबन एक - सी धीमी गति से मानव - विकास की तरक्की हुई है। पहले की सरकारें मुल्क में सबके लिए खुशहाली नहीं ला पाईं , तो यह सवाल वाजिब लगता है कि मोदी के नेतृत्व वाली संघ परिवार की सरकार का विरोध क्यों किया जाए। भारत में तरक्की के संदर्भ में तुलना के लिए चीन को लिया जा सकता है। 1950 में भारत और चीन तक़रीबन एक ही स्थिति में थे। कहा जा सकता है कि जंग और बड़े अकालों की वजह से चीन की हालत बदतर थी। चीन में साम्यवादी इंकलाब हुआ और तीन दशकों बाद धीरे - धीरे व्यवस्था पूँजीवादी तानाशाही में बदल गई। भारत में छोटे संपन्न तबकों की नियंत्रित लोकतांत्रिक व्यवस्था बनी , जिसमें कहने को पूरी अवाम शामिल थी , पर सचमुच जनता के हाथ कोई ताकत कभी नहीं रही। मानव विकास के आँकड़ों में चीन ने भारत से कहीं ज्यादा तरक्की की। साक्षरता द...