जुड़ो 1 कायनात में क्यूबिट कलाम लिख रहे हैं। परस्पर प्यार में उलझे हैं सूक्ष्मतम कण। हर पल ध्वनि गूँजती है , प्यार तरंगित होता है नीहारिकाओं के पार। हम सब इसी गूँज में गूँजते हैं। धरती और आकाश हमारे साथ गूँजते हैं। हम गूँजते हैं साम्य के नाद में ; कायनात में गूँजती है आज़ादी। यह गूँज हमारी प्रार्थना है , सजदा है , क्यूबिट कणों में टेलीपोर्ट होकर कायनात के चक्कर लगा आती है गूँज। हमारा प्यार हमारा रब है। हमने मीरा से प्यार किया , परवीन शाकिर से प्यार किया। हीर और रांझा हम , हम हादिया , इशरत हम। हम प्यार , हम प्रेमी। हम आज़ाद , हम आज़ादी। हम समंदर का नील , हम प्रतिरोध का लाल। हम खुली हवा की मिठास , हम पंछी लामकां। 2 पढ़ना है , पढ़ाना है। खोखे पर बैठ चाय पीनी है , पर दिमाग को कुंद नहीं होने देना है। उदासीन होना है , उदास नहीं होना है। सुर साधना है। कुदरत को सुनना है , कुदरत को साधना है। चाँद - सूरज के साथ इस धरती को खूबसूरत रहने देना है। सूरज को गिरने नहीं देन...