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15 साल पुराना लेख : प्रेम पर पहरा

यूथ प्लस , दैनिक भास्कर , मंगलवार , 15 अप्रैल 2003 प्रेम पर पहरा क्यों ? ---------------------------------------- प्रेम मानव को प्रकृति का सबसे खूबसूरत उपहार है। हर क्रांतिकारी का मूल स्वप्न प्रेम होता है। लगातार प्रेमविहीन हो रहे समाज में प्रेम की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए हम सबको सोचना है। ---------------------------------------- क्या किशोर - किशोरियों का सार्वजनिक जगहों पर एक साथ घूमना और परस्पर प्रेम प्रदर्शन करना ठीक है ? पंचकूला पुलिस द्वारा बुजुर्गों की शिकायत पर युवाओं को पकड़ने और उनके माता - पिता को बुलाने की घटना से यह बात चर्चा का विषय बनी है। अधिकतर लोग इसे नैतिकता का सवाल मानते हैं , जबकि युवा इसे अक्सर तिल का ताड़ बनाने की मूर्खता मानते हैं। आज इलैक्ट्रानिक मीडिया पर जैसे दृश्य हम देखते हैं , उसके बाद युवाओं के प्रेम पर सवाल उठाना वाजिब नहीं लगता। अपने घर में बैठकर टीवी पर हर पांच मिनट में चुम्बनों से भरा जांघिया पहना मर्द , कनिष्ठिका उठाए आई वाना डू , कुछ भी हो सकता है के सरकते वस्त्र आदि - आदि देखने में हमें कोई आपत्ति नहीं। यौवन का प्रे...