चुपचाप अट्टहास -37 लोग मुझे देखते हैं और पास से गुजर जाते हैं छूना तक नहीं चाहते मुझे देर तक देखना नहीं चाहते आँखें दूर कर लेते हैं मुझे देखते ही उनके अंदर आग - सी धधकने लगती है वे खुद से ही घबराने लगते हैं उन्हें मेरी कोई जरूरत नहीं है मुझे मेरी अपनी जरूरत है क्या यह जो आग उनमें धधकती दिखती है मेरे अंदर तो नहीं धधक रही लोग ऐसे ही आएँगे गुजरते जाएंगे जाने कितने आस्मां खुलते हैं मैं उनमें से किसी एक को भी छू नहीं सकता कौन मेरे अंदर लगातार अट्टहास करता रहता है कौन मेरे अंदर जाने कितने प्रलयंकर अंधड़ बन आता है कौन मेरे अंदर धूमकेतु - सा हो उड़ता है कौन मेरे अंदर अनबुझ ज्वालामुखी बन फैलता है। People look at me And they walk by They do not want to look at me for a long while They take their eyes away They look at me And they feel a fire within T...