मूँछ होती थी काली कच्ची उम्र की सिर पर उन दिनों के बालों के साथ जमती भली थी आईना देखता उससे बातें करता था कहता था कि वह कभी न गिरेगी वह गिरी भी कटी भी जब यह वारदात हुई मैं दिनों तक दाँतों से नाखून काट चबाता रहा लू में बदन तपाया बारिश के दिन सड़कों में भीगा हर सुंदर के असुंदर को अपनाया इस तरह बना जघन्य मूँछ फिर कभी खड़ी नहीं हुई हर सुबह एक नए उस्तरे से उसे मुँड़वाता हूँ फिर बाँट देता उस्तरा गोरक्षकों को। I had a moustache dark one like a young adult It used to match well with the hair on my head I talked with it when looking at the mirror I told it that it will never droop And then it drooped and and I lost my dignity For days I bit my nails After it happened I tanned my skin in blazing sun Got drenched in pouring rain I went for the ugly in all that is beautiful This is how I turned ugly ...