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Showing posts from June, 2017

चुपचाप अट्टहास - 35: हर सुंदर के असुंदर को अपनाया

मूँछ होती थी काली कच्ची उम्र की सिर पर उन दिनों के बालों के साथ जमती भली थी आईना देखता उससे बातें करता था कहता था कि वह कभी न गिरेगी वह गिरी भी कटी भी जब यह वारदात हुई मैं दिनों तक दाँतों से नाखून काट चबाता रहा लू में बदन तपाया बारिश के दिन सड़कों में भीगा हर सुंदर के असुंदर को अपनाया इस तरह बना जघन्य मूँछ फिर कभी खड़ी नहीं हुई हर सुबह एक नए उस्तरे से उसे मुँड़वाता हूँ फिर बाँट देता उस्तरा गोरक्षकों को। I had a moustache dark one like a young adult It used to match well with the hair on my head I talked with it when looking at the mirror I told it that it will never droop And then it drooped and and I lost my dignity For days I bit my nails After it happened I tanned my skin in blazing sun Got drenched in pouring rain I went for the ugly in all that is beautiful This is how I turned ugly ...

चुपचाप अट्टहास - 34: तुम्हारे अंदर मेरा एक हिस्सा कैसे

तुमने क्या सोचा था सुंदर सा चेहरा जिस पर औरतें फिदा होती हैं किसी ख़ून पीते आदमी का नहीं हो सकता खुद को देखो तुम्हारी आँखें हैं जैसे हर किसी की बाल तुम्हारे काले सफेद औसत हिंदुस्तानी का भार है तुम्हारा औसत ही ऊँचाई है वैसी जीभ , नाक कान नहीं तुम पागल नहीं हो तुम्हारे अंदर मेरा एक हिस्सा कैसे आ गया ? And you thought that A handsome face That attracts women Cannot belong to a bloodthirsty man Look at yourself Your eyes are just like anyone else’s Your hair salt and pepper You weigh about an average Indian’s weight And your height is average Your tongue, nose and ears are the same No, you are not crazy How is it that a part of me is there within you?

एक पैर रखता हूँ कि सौ राहें फूटतीं

'अनहद' के ताज़ा अंक में प्रकाशित आलेख मुक्तिबोध के लेखन में वैज्ञानिक सोच हमें बचपन से बतलाया जाता है कि हमारा युग विज्ञान का युग है। विज्ञान , वैज्ञानिक सोच या चेतना या दृष्टि , तकनोलोजी , ये सारी बातें अलग - अलग अर्थ रखती हैं , पर यह माना जाता है कि इनमें गहरा संबंध है। युग विज्ञान का है तो हर इंसानी हरकत में विज्ञान या वैज्ञानिक सोच को ढूँढना लाजिम हो जाता है। सच यह है कि साहित्य पर चर्चा करते हुए विज्ञान ढूँढना कोई मायने नहीं रखता है। ज्ञान प्राप्त करने के कई तरीकों में से विज्ञान एक है , जिसकी कुछ खास विशेषताएँ हैं। वैज्ञानिक पद्धति की कुछ खासियत हैं जो हमें सत्य के आस - पास तक पहुँचने में मदद करती हैं। पर अंतिम सत्य क्या है . यह सवाल खुला रह जाता है। किसी कृति में वैज्ञानिकता या वैज्ञानिक सोच है या नहीं , इस बात का मतलब अक्सर यह होता है कि रचना में तर्कशीलता पर जोर दिया गया है या कि इसके विपरीत रचना की संरचना और इसके कथ्य में भावनात्मकता या आस्था का असर अधिक है। यह बात शुरु में ही समझ लेनी चाहिए कि वैज्ञानिक तर्कशीलता एक खास किस्म की तर्कशीलता है।...