हर मुँह से हिस्स हिस्स कितने मुँह मेरे दो कि चार कि अनगिनत पथरीली राहें मुझे घेरतीं मुझे उछालतीं गगनचुंबी लहरें समंदरों की बँधा मैं अँधेरी रातों से हर मुँह से हिस्स हिस्स ज़हर फेंकता। बरछे भाले तोप कमान कोई मेरे लगातार बढ़ते ज़हरीले मुखों को छेद नहीं सकता मैं काल का काला बादल सुनो मेरी फुफकार अँधेरे में मेरी लपलपाती जीभ तुम्हें दिखती होगी जैसे मोहिनी नायिका जाती अभिसार को। Many mouths I have Is it two or four or countless Rocky roads are all around me High tidal waves from the seas throw me upwards I am bound to darkness Hissing venom spits From each of my mouths. No spears or cannon balls Can pierce my ever spreading venomous mouths I am the dark cloud of Kala, the terror eternal, Hear me erupt. You can see my tongue Brandishing in darkness Like a courtesan going t...