'उद्भावना' के ताज़ा भीष्म साहनी स्मृति विशेषांक में प्रकाशित - भीष्म साहनी का उपन्यास ' मय्यादास की माड़ी ' - इतिहास '… न कोई नमकहलाल होता है , न नमकहराम। हम सब हाकिमे - वक्त का हुक्म बजा लाते हैं , सदा से ऐसा ही चलता आया है। ' ' मय्यादास की माड़ी ' एक ऐतिहासिक उपन्यास है। भीष्म साहनी का जन्म पंजाब के ऐसे इलाके में हुआ था जहाँ पिछली कई सदियों से लगातार तख्तापलट होता रहा है और आज भी लगभग यही माहौल है। ऐसे इलाके में शहरी अभिजात खानदान में पलने से उन्हें हाल की सदियों के इतिहास की जानकारी होनी स्वाभाविक थी। उनके पिता कपड़ों के खानदानी व्यापारी थे। बाद में लाहौर में कॉलेज की तालीम के दौरान भी इतिहास का गहन अध्ययन उन्होंने किया ही होगा। साथ ही परिवार में बुज़ुर्गों से सुनी कहानियों से उनको इतिहास की अच्छी समझ मिली होगी। उनका जन्म 1915 में हुआ था और उन्होंने अपने पिता और दादा की पीढ़ी से उन्नीसवीं सदी में पंजाब में हुई उथल - पुथल के बारे में बहुत कुछ सुन रखा होगा। उनकी पीढ़ी के लेखकों पर हिंदी में प्रेमचंद और विश्व - साहित्य में तॉल्सतॉय ज...