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Showing posts from May, 2016

कुछ नहीं बदला

फिर से सेरा टीसडेल -  Blue Stargrass If we took the old path In the old field The same gate would stand there That will never yield Where the sun warmed us With a cloak made of gold, The rain would be falling And the wind would be cold; And we would stop to search In the wind and the rain, But we would not find the stargrass By the path again. नीली दूब   पुराने मैदान में पुरानी पगडंडी पर चलें वही कभी न मिटने वाले दरवाजे मिलेंगे वहाँ जहाँ सोने का आवरण वाली धूप की उष्णता थी बारिश होगी और ठंडी हवाएँ होंगी बारिश और हवाओं में ढूँढेंगे हम पर नहीं दिखेगी दूब उस पगडंडी पर।   Sand Drift I thought I should not walk these dunes again, Nor feel the sting of this wind-bitten sand, Where the coarse grasses always blow one way, Bent, as my thoughts are, by an unseen hand. I have returned; where the last wave rushed up The wet sand is a mirror for the sky A bright blue instant, and along its sheen The nimble sandpipers ...

कभी चाहा था कोई और जीवन

जैसे यही सच है जैसे समंदरों पार वह इंतज़ार में रहती है कि मैं फ़ोन करूँ सोचता हूँ तो कई बार मन करता है कि फूट पड़ूँ कहूँ कि तुम्हें कभी नहीं फ़ोन करना चाहता वह फिर भी इंतज़ार करती है कि फ़ोन आते ही कहे सोच रही थी तू मुझे भूल गया होगा मैं कहता हूँ अच्छा कभी नहीं कहता कि काश भूल पाता काश कि जन्म लेते ही किसी और सृष्टि में चला गया होता मेरा घर सचमुच ही किसी और ग्रह में है अपने घर में बैठा रहता हूँ महीनों बाद मिलता हूँ फिर भी अपने ही ग्रह में होता हूँ गर्म दाल - भात और आलू - पोस्ता खाते हुए भीगता रहता हूँ ग्रहों पार से आते उसके रुके हुए आँसुओं में उसकी झुर्रियों में अब संतोष नहीं दिखता कि मैं उंगलियाँ चाट कर खा लेता हूँ महीनों बाद उसके हाथों का बना साल दर साल चाह कर भी नहीं कह पाऊँगा कि मैंने कभी चाहा था कोई और जीवन।                           ...