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Showing posts from March, 2016

प्रतिरोध के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।

कल जब मैं अपने संस्थान में बच्चों को हैदराबाद विश्वविद्यालय में पिछले हफ्ते हुए ' एकलव्य स्पीक्स ' कार्यक्रम में से चुनींदा बयानों पर बना वीडियो और फिर रविवार को ईशा खंडेलवाल का दिया भाषण सुना रहा था , उसी वक्त विश्वविद्यालय में छुट्टी से लौटे कुलपति के विरोध में बैठे छात्रों और अध्यापकों पर पुलिस की मार पड़ रही थी। आंबेडकर अध्ययन केंद्र के संचालक डा . रत्नम और गणित के युवा अध्यापक तथागत को 34 और छात्रों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। फेसबुक पर पुलिस की ज्यादती की तस्वीरें देख कर मन अवसाद से भरता जा रहा था। जाहिर है कि सरकार अपने निर्णय को छल बल कौशल से लागू करने को आमादा है। आंदोलन को तोड़ने के लिए गैर - शिक्षण कर्मचारियों की माँगें मानकर उन्हें प्रशासन ने अपने साथ ले लिया है। परिसर में सिर्फ इंटरनेट ही नहीं , खाना और पानी तक बंद है। कल अनिर्वाण (जे एन यू) ने रात को छात्रों के बीच आकर बयान दिया। आज कन्हैया पहुँचा है, पर परिसर में उसका प्रवेश प्रतिबंधित है।  बहरहाल , अकार का 43 वाँ अंक नेट पर आ गया है - इसमें पिछले साल नागपुर में दिया गया मेरा एक व्याख्यान है , जो यहाँ पढ़ा...

कि मौत से आगे भी जीना है

जब अँधेरा घना हो और अचानक उम्मीद की चिंगारी सी दिख जाए, तो कहाँ जाएँ - सेरा टीसडेल की कविताएँ अभी और हैं -  World's End The shores of the world are ours, the solitary Beaches that bear no fruit, nor any flowers, Only the harsh sea-grass that the wind harries Hours on unbroken hours. No one will envy us these empty reaches At the world's end, and none will care that we Leave our lost footprints where the sand forever Takes the unchanging passion of the sea. धरती का छोर धरती के साहिल हमारे हैं , एकाकी तट जहाँ फल नहीं उगते , न फूल खिलते हैं , बस हवा समंदर की रूखी घास घंटे दर घंटे बेरोक ला फेंकती है। धरती के छोर पर इन वीरान जगहों के लिए कोई हमसे न जलेगा , और किसी को न होगी परवाह कि जहाँ रेत हमेशा समंदर का अनचाहा प्यार लेती रहती है , हम छोड़ जाएँगे अपने खोए पैरों के निशान। Beautiful, Proud Sea Careless forever, beautiful proud sea, You laugh in happy thunder all alone, You fold upon yourself, you dance your ...