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प्रतिरोध के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।


कल जब मैं अपने संस्थान में बच्चों को हैदराबाद विश्वविद्यालय में पिछले हफ्ते हुए 'एकलव्य स्पीक्स' कार्यक्रम में से चुनींदा बयानों पर बना वीडियो और फिर रविवार को ईशा खंडेलवाल का दिया भाषण सुना रहा था, उसी वक्त विश्वविद्यालय में छुट्टी से लौटे कुलपति के विरोध में बैठे छात्रों और अध्यापकों पर पुलिस की मार पड़ रही थी। आंबेडकर अध्ययन केंद्र के संचालक डा. रत्नम और गणित के युवा अध्यापक तथागत को 34 और छात्रों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। फेसबुक पर पुलिस की ज्यादती की तस्वीरें देख कर मन अवसाद से भरता जा रहा था। जाहिर है कि सरकार अपने निर्णय को छल बल कौशल से लागू करने को आमादा है। आंदोलन को तोड़ने के लिए गैर-शिक्षण कर्मचारियों की माँगें मानकर उन्हें प्रशासन ने अपने साथ ले लिया है। परिसर में सिर्फ इंटरनेट ही नहीं, खाना और पानी तक बंद है। कल अनिर्वाण (जे एन यू) ने रात को छात्रों के बीच आकर बयान दिया। आज कन्हैया पहुँचा है, पर परिसर में उसका प्रवेश प्रतिबंधित है। 
बहरहाल, अकार का 43 वाँ अंक नेट पर आ गया है - इसमें पिछले साल नागपुर में दिया गया मेरा एक व्याख्यान है, जो यहाँ पढ़ा जा सकता है - प्रतिरोध के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। 

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