सबको नया साल मुबारक। अँधेरे के बावजूद यह जो गाढ़ा सा अटके रहने का हिसाब है लंबे अरसे से तकरीबन उस बड़े धमाके के वक्त से चल रहा है जब हम तुम घनीभूत ऊर्जा थे यह हिसाब यह दुखों सुखों की बही में हल्के और भारी पलड़े को जानने की जद्दोजहद यह चलता चलेगा लंबे अरसे तक तकरीबन तब तक जब सभी सूरज अँधेरों में डूब जाएँगे और हम तुम बिखरे होंगे कहीं किसी अँधेरे गड्ढे में इस हिसाब में यह मत भूलना कि निरंतर बढ़ते जाते दुखों के पहाड़ के समांतर कम सही कुछ सुख भी हैं और इस तरह यह जानना कि हमारे सुख का ठहराव उन सभी अँधेरे गड्ढों के बावजूद है जो हमारे इर्द गिर्द हैं कि कोई किसी की भी जान ले सकता है बेवजह या कि कोई वजह होती होगी किसी में जाग्रत दहाड़ते दानव होने की कोई कहीं सुंदरतम क्षणों की कल्पनाओं मे डालता तेजाब चारों ओर चारों ओर ऐसी मँडराती खबरें इन्हीं के बीच बनाते जगह हम तुम पल छूने के , पल पूछने के कि तुम क्यों हँसते हो और यह जानने के कि थोड़ा सही कम नहीं है सुख परस्पर अंदर की गलियों में खिलखिला आना मूक बोलियों में कायनात के हर सपने को गाना। ...