एक पुरानी कविता पढ़कर युवा कवि देवयानी ने कुछ सवाल उठाए। यहाँ कविता और सवाल दोनों पेस्ट कर रहा हूँ। छोटे बालों वाली लड़की छोटे बालों वाली लड़की मुझे अच्छी लगती है ऐसा खुद से कहा उसे देखकर उसकी आँखें बीत गए सालों में और धँस गईं थीं पिछले कई बसंत इंतज़ार करते किसी का सालों बाद सोचा उसके लिए एक लंबी कविता लिखेगा जिसमें उसके छोटे बालों में भर देगा सुंदरता के सागर और वह उसके छोटे बालों पर खड़ा था जो समूची पृथ्वी पर एक सपने की तरह फैले हुए थे कलम कागज रख ढूँढता रहा वह याद आती बहुत याद आती मेरे बालों में तुम समा जाओ कह जाती तुम आओ अपने छोटे बालों को लेकर आओ मुझे तुम पर एक लंबी कविता लिखनी है छोटे बालों वाली लड़की मुझे अच्छी लगती है याद बन कविताओं में महकता रहा बसंत। (1990) देवयानी :- इधर मैं स्त्री विषयक या प्रेम विषयक कविताओं को भी इस तरह पढ़ती हूं कि उसे लिखने वाला कौन है यदि पुरुष कविता में यह विषय आता है तो किस तरह आता है और स्त्री कविता में वही विषय आता तो किस तरह आता तो यह जो पंक्तियां हैं उसकी आँखें बीत गए ...