' हिंदू ' में खबर है कि संजय काक ने किसी साक्षात्कार में कहा कि काश्मीर के मसले पर प्रगतिशील भारतीय भी डगमगा जाते हैं। एक काश्मीरी पंडित जिसका पिता देश के सुरक्षा बल में काम करता था , उसने ऐसा क्यों कहा ? जिन्हें संजय काक की बातें ठीक नहीं लगतीं , वे कहेंगे - गद्दार है इसलिए ! ' हिंदू ' में मृत्यु दंड के खिलाफ संपादकीय भी छपा है - अच्छे भले पढ़े लिखे लोग ऐसा क्यों कहते हैं ? अरे , सब चीन के एजेंट हैं , कमनिष्ट हैं। इतने सारे लोग सूचनाओं की भरमार होते हुए भी जटिल बातों का सहज समाधान ढूँढते हुए , जब भी ऐसी कोई खबर पढ़ते हैं , तो आसानी से गद्दार और कमनिष्ट कहते हुए मुँह फेर लेते हैं। इंसान में कठिन सत्य से बचने की यह प्रवृत्ति गहरी है। दर्शन की सामान्य शब्दावली में इसे denial ( अस्वीकार ) की अवस्था कहते हैं। इसका फायदा उठाने के लिए बहुत सारे लोग तत्पर हैं। सरकारें जन - विरोधी होते हुए भी टिकी रहती हैं , दुनिया भर में सेनाएँ और शस्त्रों के व्यापारी करोड़ों कमाते हैं और तरह तरह के अनगिनत हत्यारे आम लोगों की इसी प्रवृत्ति के आधार पर रोटी खाते हैं। आश्चर्य इस बात पर ह...