दो दिनों के लिए दफ्तरी काम से कोलकाता गया तो टी वी पर वाद विवाद का स्तर देख कर आश्वस्त हुआ कि मेरा शहर अभी भी अपना स्तर बनाए हुए है। फिर भी कुछ न कुछ ऐसी बातें सुनीं जो बिलकुल गलत थीं और आश्चर्य हुआ कि समझदार लोग ऐसी बातें कैसे कर सकते हैं। एक उदहारण के बतौर बच्चों को अंग्रेज़ी भाषा कब से सिखाई जाए इस पर शांवोली मित्र का बयान सुन कर दंग रह गया। शांवोली बांग्ला रंगमंच की बाघराना प्रतिष्ठित शख्सियत हैं और हाल में कई राजनैतिक मुद्दों पर सजग नागरिक की भूमिका में चर्चित हुई हैं। उनका कहना था कि जैसे कुछ मुल्कों में बच्चों को कम उम्र में ही पानी में उतार दिया जाता है ताकि वे जल्दी तैरने लग जाएं , इसी तरह भाषा सीखने के लिए किसी उम्र की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। एक और तर्क था कि वे ऐसे कई परिवारों को जानती हैं जहां परिवार में विभिन्न भाषा के लोग होने की वजह से बच्चे को छोटी उम्र से ही एकाधिक भाषा सीखने में कोई दिक्कत नहीं हुई। मुझे सचमुच आश्चर्य हुआ कि न केवल शांवोली देश के बहुसंख्यक बच्चों की शिक्षा संबंधी समस्याओं से पूरी तरह नावाकिफ हैं , उनमें इतना घमंड भी है कि विश्व भर के शिक्षा...