चेतन ने खबर भेजी कि विकी पर तुम्हारी कविताएँ हैं - देखा तो पुरानी तस्वीर के साथ कुछेक कविताएँ। उनमें से आखिरी कविता इशरत पर है। इशरत जहान को 2004 में जून के महीने में गुजरात की पोलीस ने मार गिराया था। मैं भूल ही गया था , कविता टुकड़ों में है और संभवतः दैनिक भास्कर के चंडीगढ़ संस्करण में आयी थीं। याद करने के लिए गूगल सर्च किया तो एक जनाब का गुजरात की पोलीस के पक्ष में लिखा यह तर्क मिलाः The law in most countries assumes that the accused is 'innocent until proven guilty beyond reasonable doubt'. Both Ishrat Jahan and Javed Ghulam Sheikh undoubtedly deserve this protection, especially since they are no longer around to speak for themselves. But to the professional 'secularists' it is not these two who stand accused of intent to murder, it is the Gujarat police that is guilty of 'state terrorism'. So why are they unwilling to grant the same presumption of innocence to the Gujarat police? मैंने कोई पच्चीस साल पहले प्रख्यात बाल चिकित्सक , नस्लवा...