Skip to main content

Posts

Showing posts from January, 2017

चुपचाप अट्टहास: 19. प्यार की थाप के साथ मेरी फुँफकार साथ चलती

खुशी तुम्हारी कि तुम लड़ते हो मरते हो मेरी सारी कोशिशों के बावजूद बिजली की कौंध में चमक उठती हैं तुम्हारी आँखें तुम्हारे होंठों से निकलता है लफ्ज़ 'प्यार' पल भर में जल गई खंडहर हो चुकी वादियाँ हरी हो जाती हैं उत्सव के ढोल बजने लगते हैं काले बादलों से घिरी अटारी से देखता हूँ और फिर एकबार आग की लहरें उड़ेल देता हूँ तुम्हारा दिल धड़कता है प्यार की थाप के साथ मेरी फुँफकार साथ चलती गुत्थम-गुत्था होते रहते हम तुम। You are happy with your resistance Happy in being demolished In spite of all my moves Your eyes shine with lightning Your lips utter the word ‘love’ And in a moment ruined valleys turn green Merry beats reverberate all around I see it from my penthouse surrounded by dark clouds And once more I let fire rage Your heart beats With the march of love My venomous panting goes with it We are in a battle.

18. हर रात अब अमावस की रात होगी

फरिश्तों से कह दो   वे अब न आएँ   वे तुम्हारा हाथ नहीं थाम पाएँगे   मैंने सारी धरती पर काँटेदार बाड़े लगा दिए हैं   हर प्रवेशद्वार पर नुकीले त्रिशूल लिए खड़े हैं   चिलम सी धधकती आँखों वाले प्रहरी   चाँद को रोक दिया है मैंने   हर रात अब अमावस की रात होगी   कोई जादू, ताबीज़, मंत्र-तंत्र काम नहीं आएगा   कापालिक रक्तपिपासु मेरे साथ हैं   सभी मठों पर कब्जा है   मेरे अवधूतों का   हर धाम ख़ून की आरती चढ़ाई जाती है मेरे आका को।   Send a word to the angels   They must not visit any more   They will not be able to hold your hand   I have put a barbed fence all around the Earth   Sentries with glowing pot like eyes   Guard every entrance with pointed tridents    I have stopped the moon   It will be a new moon every night now   No magic, amulets, tantra or spells will work   The bloodthristy skull-carriers are with me   The ascetics I own rule all monasteries ...

17. ऐसी ही कविता लिखनी है मुझे

मेरे पूर्वसूरी कविता लिखते थे मैंने कोशिश की और जाना कि जिस अँधेरे में हूँ वहाँ कविता नहीं होती। गुस्से में हाथ आई सभी कविता की किताबें फाड़ कर आग में जला दीं जलते कागज में से कोई आवाज़ आ - आ कह जाती कि जहाँ प्यार नहीं वहाँ कविता नहीं होती। मैंने कल्पना में दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत को देखने की कोशिश की। हड्डियों का ढाँचा वह आती होंठों में काला पड़ा ख़ून कोशिश की कि उसे मुस्कराता देखूँ होंठ खुलते दिखते उसके विषैले दाँत वह चबाती कागज़ के पन्ने जिन पर बेहतरीन कविताएँ लिखी होतीं। सोचा कि उसके उन्माद पर कविता लिखूँगा कपड़े उतार कर उसके वक्ष नितंब देखूँगा पर उसका शरीर काँटेदार रोंओं से भरा था एकबारगी चीखे बिना नहीं रहा गया कि ऐसी ही कविता लिखनी है मुझे। Those who came before me wrote poems I tried And learned that The darknss in which I dwell Does not allow poetry. I was angry and I burnt All the bo...

16. तुम सिर्फ उत्पाद हो

इधर कुछ समय से मेरी ज़ुबान पर जिन्हें पहले हराम कहता था ऐसे अल्फाज़ अनचाहे ही आते हैं कत्ल और दंगा - फसाद ही नहीं खारिज किसी दुनिया से वापिस आए अनेकों लफ्ज़ रस - बस गए हैं ज़ुबान पर याद है कि अपने आका तक पहुँचने के लिए कभी अपने मातहतों से कहा था कि कातिलों को कुछ देर खेल खेल - लेने दो आज तक इक्के - दुक्के लोग कोशिश में हैं कि अंतरिक्ष में ध्वनि की गति से ज्यादा तेजी से दौड़ कर उन लफ्ज़ों को पकड़ लें भोले बेचारों को समझ नहीं आई है कि अंतरिक्ष में हर दिशा में खड़े हैं कराल द्वारपाल क्षितिज झुका बैठा मेरे आका के पैरों पर नवजात बच्चों के माथों पर चिरंतन दासता का भवितव्य लिखा जा रहा है भूल जाओ कि कभी तुमने सपनों में फूल देखे थे तुम सिर्फ उत्पाद हो और - और उत्पाद का स्रोत बन जीते रहना तुम्हारी नियति है। For a while now words that I hated earlier Come out of my mouth Without my asking; Not just murder and mayhem Many...