यूनिवर्सिटी में छात्रों का आंदोलन रुका नहीं है। कैंपस में आए तरह - तरह के राजनैतिक नेताओं में सीताराम येचुरी और कविता कृष्णन ने सबसे बेहतर ढंग से बातें रखीं। जे एन यू से आए छात्र नेता शहेला रशीद को सुनकर भी अच्छा लगा। कल शाम शहर के सांस्कृतिक केंद्र ला मकां में रोहित वेमुला पर सार्वजनिक सभा हुई। यह बात सामने आई कि जातिगत भेदभाव को जड़ से उखाड़ने का वक्त आ गया है। 25 जनवरी को चलो एचसीयू ( हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी ) का आह्वान है। दूसरी ओर यूनिवर्सिटी के अध्यापकों में अधिकतर यह चाहने लगे हैं कि नियमित क्लासें लगनी शुरु हो। चार दिन पहले यह छोटा लेख दैनिक भास्कर के लिए लिखा था। आज छपा है - मामूली काट - छाँट के साथ। ------------- क्या आपके किसी परिचित ने कभी खुदकुशी की है ? रोहित वेमुला एक युवा छात्र कार्यकर्ता था , जिससे दो चार बार मेरी मुलाकात हुई थी। आम सभाओं में मिले , एकबार शायद एक व्याख्यान के बाद भी हम कुछ देर तक साथ थे। एक इंसान जिसे मैं जानता था हमेशा के लिए गायब हो गया है। हम खबरों में किसा...