आज हिंदू में यह खबर प्रामाणिक रूप से छपी है कि ज़ाकिया जाफरी मामले में उच्चतम अदालत द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने यह कहा है कि नरेंद्र मोदी पर 2002 के दंगों के अपराध के लिए अदालत में मामला दर्ज़ हो और बाकायदा सुनवाई हो। मैंने डेढ़ महीने पहले एक आलेख लिखा था जो जनसत्ता में 'प्रचार का आवरण' शीर्षक से छपा था। इसे एक ज़िद्दी धुन ने भी पोस्ट किया था। जिन्होंने नहीं पढ़ा हो , उनके लिए यहाँ पेस्ट कर रहा हूँ। गुजरात और नरेंद्र मोदी फिर से सुर्खियों में हैं। एक ओर 2002 की दुखदायी घटनाओं - गोधरा और उसके बाद का जनसंहार - के दस साल बाद कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और चिंतकों ने लेखाजोखा लेने की कोशिश की है कि दस साल बाद हम कहां खडे हैं ; गुजरात में जनसंहार के दोषियों में से किसे सजा मिली और कौन खुला घूम रहा है ; पीड़ितों में से कौन जिंदगी को दुबारा पटरी पर ला पाया है और कौन नहीं। दूसरी ओर ‘टाइम’ पत्रिका के मार्च अंक के आवरण पर नरेंद्र मोदी की तस्वीर है और अंदर एक साक्षात्कार आधारित आलेख है , जिसमें मोदी को कुशल प्रशासक के रूप में चित्रित किया गया है और साथ ही सवाल उठाया गया ह...