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Showing posts from October, 2005

साझी लड़ाई

हिन्दी में लिखे दूसरे ब्लॉग पढ़ते हुए मैंने पाया कि लोगों ने अच्छा शब्द ढूँढा है – चिट्ठा । बढ़िया शब्द है। बहरहाल एक चिट्ठा ऐसा था जिसमें कल दिल्ली में हुए विस्फोटों की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान पर आक्षेप लगाए गए थे। आतंकवाद के प्रसंग में इज़राइल के गाज़ा छोड़ने के बाद भी हो रहे आत्म-घाती हमलों का ज़िक्र था। इस तरह प्रकारांतर में मुसलमानों पर ही आक्षेप था। यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग जल्दबाजी में इस तरह के निर्णयों पर पहुँच जाते हैं जो न केवल निराधार हैं, बल्कि कुल मिलाकर किसी का भला नहीं करते। आतंकवाद किसी एक कौम की बपौती नहीं है। पाकिस्तान के लोग भी आतंकवाद से उतना ही पीड़ित हैं जितना हिंदुस्तान या कहीं और के लोग हैं। जुनून नामक संगीत-मंडली के प्रमुख गायक सलमान ने दो साल पहले एक फिल्म बनाई थी, ‘ रॉक स्टार ऐंड दी मुल्लाज़ ’ जिसमें वह धार्मिक लोगों, खास तौर पर मौलवियों और मदरसों में शरियत की शिक्षा ले रहे लोगों के साथ अपने अनुभवों का ज़िक्र करता है। ये लोग साधारण लोग हैं, जिन्हें जिहादियों द्वारा बरगलाया जरूर जा सकता है, पर अपने आप में वे निहायत ही भोले और भले लोग हैं, जिन...

शुरुआत

हिन्दी में ब्लॉग पढ़े तो लगा कि इस प्रयास में हमें भी जुड़ना चाहिए। आखिर हम हिन्दी में लिखते हैं और एक व्यापक पाठक समाज के साथ संबंध जोड़ने की कोशिश करते हैं तो कंप्यूटर पर क्यों नहीं! इसी तरह यह शुरुआत। शायद इसी बहाने हिन्दी में टाइप करने की आदत बन जाए। आज का दिन शुभ नहीं है। कल शाम दिल्ली में जो विस्फोट हुए हैं, उनका असर हर किसी पर होगा। हमारे समय में यह हर दिन की बात हो गई है कि दंगे, फ़साद, धमाकों में हज़ारों लोग मारे जाएं और आम आदमी असहाय बोध से ग्रस्त असुरक्षित महसूस करता रहे। बहरहाल आज होमी भाभा का जन्मदिन भी है। भाभा को आधुनिक भारत के निर्माताओं में गिना जाता है, क्योंकि विज्ञान और तकनीकी प्रगति के में वे शामिल थे। इस पर विवाद चलता रहता है (चलना भी चाहिए) कि नाभिकीय शोध और तकनीकी के लाभ और नुकसान क्या हैं और भाभा का अवदान कितना महत्त्वपूर्ण है, पर इसमें कोई दो राय नहीं है कि वे एक कर्मठ और प्रेरक व्यक्तित्व के मालिक थे। इस दिन को भी और दिनों की तरह ही देखें। यह शुरुआत। अब आगे कल।