हिन्दी में लिखे दूसरे ब्लॉग पढ़ते हुए मैंने पाया कि लोगों ने अच्छा शब्द ढूँढा है – चिट्ठा । बढ़िया शब्द है। बहरहाल एक चिट्ठा ऐसा था जिसमें कल दिल्ली में हुए विस्फोटों की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान पर आक्षेप लगाए गए थे। आतंकवाद के प्रसंग में इज़राइल के गाज़ा छोड़ने के बाद भी हो रहे आत्म-घाती हमलों का ज़िक्र था। इस तरह प्रकारांतर में मुसलमानों पर ही आक्षेप था। यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग जल्दबाजी में इस तरह के निर्णयों पर पहुँच जाते हैं जो न केवल निराधार हैं, बल्कि कुल मिलाकर किसी का भला नहीं करते। आतंकवाद किसी एक कौम की बपौती नहीं है। पाकिस्तान के लोग भी आतंकवाद से उतना ही पीड़ित हैं जितना हिंदुस्तान या कहीं और के लोग हैं। जुनून नामक संगीत-मंडली के प्रमुख गायक सलमान ने दो साल पहले एक फिल्म बनाई थी, ‘ रॉक स्टार ऐंड दी मुल्लाज़ ’ जिसमें वह धार्मिक लोगों, खास तौर पर मौलवियों और मदरसों में शरियत की शिक्षा ले रहे लोगों के साथ अपने अनुभवों का ज़िक्र करता है। ये लोग साधारण लोग हैं, जिन्हें जिहादियों द्वारा बरगलाया जरूर जा सकता है, पर अपने आप में वे निहायत ही भोले और भले लोग हैं, जिन...