इसलिए मेरे अवसाद से डरता है
आम
भला
आदमी
तकरीबन
तंदरुस्त
ईमान
की कमाई में सुबह शाम जुटा।
सुबह
मुझे पूछता है
इस
तरह की खबरें पढ़कर आपको अवसाद
नहीं होता
पूछता
है मुस्कुराता है
चिंतित
मेरे बारे में
वह
पढ़ता है,
जैसे
'साइंस
टूडे'
पत्रिका
या
'पंजाब
केसरी'
अखबार।
भगवान से डरता है
इसलिए
मेरे अवसाद से डरता है।
वह
जानता है कारण
मीलों
दूर होती हत्याओं के
उसे
चिंता नहीं होती अपनी
पत्नी
या बेटी की
जिन्हें
देखता मैं हर रोज खबरों में।
(दस
बरस :
दूसरी
जिल्द-2002)
Labels: कविता
2 Comments:
अच्छा लिखते हो। ब्लॉग फौलोवर गैजेट उपलब्ध कराओ ताकि छपने की खबर समय पर मिलती रहे।
श्रीमान बहुत अच्छा लिखा है।
"भगवान से डरता है
इसलिए मेरे अवसाद से डरता है।
वह जानता है कारण
मीलों दूर होती हत्याओं के
उसे चिंता नहीं होती अपनी
पत्नी या बेटी की
जिन्हें देखता मैं हर रोज खबरों में।"
सादर प्रणाम,
चंपक
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